रांची : Champai Soren Latest News झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन की भाजपा में जाने की अटकलें काफी तेज है। चंपाई सोरेन ने सीएम हेमंत सोरेन के खिलाफ नाराजगी जाहिर की है। जिसके बाद जेएमएम और कांग्रेस के कई विधायकों के भी भाजपा में जाने की चर्चा हैं। जिससे गठबंधन सरकार पर असर पड़ स्वाभाविक है। इस स्थिति में हेमंत सोरेन सरकार के लिए संकट के बादल मंडरा सकते हैं।
Champai Soren Latest News रविवार को झारखंड के पूर्व सीएम चंपाई सोरेन ने मुखरता से सीएम हेमंत सोरेन के खिलाफ अपनी नाराजगी जाहिर की। चंपाई सोरेन के झारखंड मुक्ति मोर्चा छोड़ने का असर गठबंधन सरकार पर भी पड़ना तय माना जा रहा है। क्योकि चंपाई सोरेन के साथ जेएमएम और कांग्रेस के कई विधायकों के भी जाने की चर्चा हैं। झारखंड मुक्ति मोर्चा के जिन विधायकों के भाजपा में जाने की चर्चा हैं, उसमें से तीन विधायकों दशरथ गगराई, चंपाई सोरेन और समीर मोहंती की तरफ से पार्टी छोड़ने की खबरों को खारिज कर दिया है। परंतु राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अगर जेएमएम-कांग्रेस के 6 से अधिक विधायक बगावत करते हैं, तो हेमंत सोरेन सरकार के लिए अल्पमत में आने का खतरा पैदा हो जाएगा।
बता दें कि झारखंड के 82 सदस्यीय विधानसभा में अभी 7 सीटें रिक्त हैं, यानी सदस्यों की कुल संख्या 75 हैं। इनमें सत्तारूढ़ गठबंधन में जेएमएम के 26 विधायक, कांग्रेस के 16, झारखंड विकास मोर्चा-प्रजातांत्रिक के 1, आरजेडी के 1 और मनोनीत हैं। तो उधर विपक्ष में बीजेपी के 22, आजसू पार्टी के 3, झारखंड विकास मोर्चा प्रजातांत्रिक के 1, एनसीपी के 1 और दो निर्दलीय विधायक हैं। परंतु अगर सत्तारूढ़ जेएमएम-कांग्रेस के 6-7 या उससे अधिक विधायकों ने पार्टी बदली या विधानसभा सदस्यता से इस्तीफा दिया, तो तस्वीर बदल जाएगी। इस स्थिति में विपक्ष की ओर हेमंत सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है। साथ ही पाला बदलने वाले विधायकों के अविश्वास मत के पक्ष में मतदान करने पर सरकार के सामने संकट की स्थिति पैदा सकती है।
वहीं दूसरी ओर सत्तापक्ष के 14 विधायकों के त्यागपत्र देने की स्थिति में विधानसभा की दलगत स्थिति बदल जाएगी। कुल सदस्यों की संख्या 61 हो जाएगी। इस कंडीशन में बहुमत के लिए 31 विधायकों का समर्थन जरूरी होगा। वहीं जेएमएम गठबंधन सरकार में शामिल सदस्यों की संख्या 44 से घटकर 29 हो जाएगी, क्योंकि स्पीकर दोनों पक्षों में टाई होने की स्थिति में ही वोटिंग करते हैं। इस तरह सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों ही ओर सदस्यों की संख्या 29 होगी। इस स्थिति में स्पीकर का वोट ही निर्णायक साबित हो जाएगा।