नई दिल्ली। उन्नाव रेप पीड़िता मौत से जिंदगी की जंग आखिरकार हार गई। लेकिन वो जिंदा रहना चाहती थी। सफदरजंग अस्पताल जाते वक्त थोड़ी होश में थी और अपने साथ चल रहे भाई से पूछ रही थी, मैं बच तो जाऊंगी न? मैं मरना नहीं चाहती हूं। पीड़ित 90 फीसदी जल चुकी थी। शुक्रवार रात करीब पौने बारह बजे कार्डिएक अरेस्ट से पीड़िता की मौत हो गई। इस मौत ने एक बार फिर देश पर बड़ा सवाल छोड़ गई कि आखिर कब तक बेटियों के साथ अत्याचार होता रहेगा और शासन प्रशासन हाथ पर हाथ धरे सालों अपराधियों को पालता रहेगा।
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आखिर उनके किए की सजा उन्हें कब दी जाएगी। एक घटना हुई रहती कि उसके अगले ही दिन बेटियों से बलात्कार, हत्या के मामले सामने आ जाते हैं। वारदातों को अंजाम देने से लगता है कि अपराधियों में पुलिस को लेकर किसी भी तरह का खौफ नहीं है।
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अस्पताल के सूत्रों के मुताबिक इतनी ज्यादा झुलसने के बाद भी लड़की होश में थी और उसके ब्लड प्रेशर, पल्स रेट वगैरह सामान्य थे। लेकिन उन्होंने यह भी आशंका जताई थी कि अगले 72 घंटे जोखिम भरे हैं, क्योंकि इस दौरान इन्फेक्शन या सेप्टिसीमिया होने का खतरा सबसे ज्यादा होता है।
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बताया जा रहा है कि आरोपियों ने पीड़ित को आग लगाने से पहले उस पर डंडे से वार किया और गले में चाकू भी मारा था। इसके बाद जब वह चक्कर खाकर गिरी उस समय उस पर मिट्टी का तेल डालकर आग लगा दी गई थी। यह उसकी हिम्मत ही थी कि आग में घिरी होने के बाद भी उसने आसपास के लोगों से मदद मांगी।
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