नयी दिल्ली, 18 जनवरी (भाषा) भारतीय नौसेना उथल-पुथल वाले भू-राजनीतिक माहौल और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के अपना प्रभाव बढ़ाने की पृष्ठभूमि में, अमेरिका और फ्रांस सहित आठ देशों की नौसेनाओं के साथ एक बड़े युद्धाभ्यास में भाग ले रही है।
नौसैन्य अभ्यास ‘ला पेरोस’ हिंद महासागर और प्रशांत महासागर के बीच स्थित जलडमरूमध्यों के साथ-साथ मलक्का, सुंडा और लोम्बोक में जारी है।
इन जलडमरूमध्य को वैश्विक समुद्री व्यापार के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।
सोलह जनवरी से शुरू हुए नौ दिवसीय अभ्यास का उद्देश्य समुद्री निगरानी, हवाई अभियानों और सूचना साझा करने के क्षेत्रों में भाग लेने वाले देशों के बीच सहयोग बढ़ाना है।
परमाणु ऊर्जा चालित विमानवाहक पोत ‘चार्ल्स डे गाउले’ के नेतृत्व में फ्रांसीसी नौसेना का एक बेड़ा अभ्यास का मुख्य हिस्सा है।
भारतीय नौसेना के अनुसार, भारत का स्वदेश विकसित मिसाइल विध्वंसक आईएनएस मुंबई भी अभ्यास का हिस्सा है।
भारत, अमेरिका और फ्रांस के अलावा ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया, मलेशिया, सिंगापुर, कनाडा और ब्रिटेन की नौसेनाएं भी इस अभ्यास में भाग ले रही हैं।
भारतीय नौसेना ने शनिवार को कहा, ‘‘यह अभ्यास समान विचारधारा वाली नौसेनाओं को बेहतर सामरिक अंतर-संचालन के लिए योजना, समन्वय और सूचना साझा करने में घनिष्ठ संबंध विकसित करने का अवसर प्रदान करता है।’’
ऑस्ट्रेलियाई नौसेना ने अपने अग्रिम पंक्ति के विध्वंसक पोत एचएमएएस होबार्ट को तैनात किया है, जबकि कनाडा ने अपने युद्धपोत एचएमसीएस ओटावा को भेजा है।
अमेरिका ने युद्ध पोत यूएसएस सवाना को तैनात किया है, मलेशिया ने विध्वंसक एफएफजी लेकिर और पोत गगा समुदेरा को भेजा है।
ब्रिटेन, अपतटीय गश्ती पोत एचएमएस स्पाई और सिंगापुर, गश्ती पोत आरएसएन इंडिपेंडेंस के साथ अभ्यास में भाग ले रहा है।
फ्रांस की ओर से जारी एक बयान के अनुसार, ‘‘इस अभ्यास का मूल उद्देश्य समुद्री सुरक्षा को मजबूत करना है। साथ ही अंतर-संचालनीयता का विकास करना और समुद्री संकट की स्थिति में सामूहिक रूप से काम करने को बढ़ावा देना है।’
भाषा सुभाष पवनेश
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