नई दिल्ली। ट्रांसजेंडर्स द्वारा भीख मांगना अब अपराध नहीं है। केंद्र सरकार ने ‘ट्रांसजेंडर्स पर्सन्स (प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स) विधेयक, 2019 के विवादित प्रावधान को हटा लिया गया है। इस विधेयक को केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को मंजूरी दे दी है। अब इसे संसद में पेश किया जाएगा। विधेयक में से उस प्रावधान को भी अलग कर दिया गया है जिसके चलते ट्रांसजेंडर को अपने समुदाय का होने की वैधानिक मान्यता के लिए जिला स्क्रीनिंग कमेटी के समक्ष पेश होना अनिवार्य था।
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सामाजिक न्याय एवं अधिकारिकता मंत्रालय के एक अधिकारीके मुताबित अब विधेयक से भीख शब्द हटा लिया गया है जबकि अन्य सभी बातें पहेल जैसी ही हैं। ट्रांसजेंडर समुदाय ने इस प्रावधान पर आपत्ति करते हुए कहा था कि सरकार उन्हें रोजी-रोटी का कोई विकल्प दिए बगैर ही उन्हें भीख मांगने से रोक रही है।
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पहले इस विधेयक के अध्याय 8 के सेक्शन 19 में यह उल्लेखित था कि सरकार की तय की गई सेवाओं अथवा नौकरियों से अलग अगर कोई ट्रांसजेंडर भीख मांगने या मंगवाने का काम करता है या जबरन किसी को कोई काम करने के लिए मजबूर करता है। या कोई उसे मजबूर करता है तो कम से कम छह महीने की सजा का प्रावधान किया गया था। इस सजा की न्यूनतम अवधि छह महीने थी, जिसे अधिकतम दो सालों तक बढ़ाया जा सकता था। कैद के अलावा इसमें जुर्माना भी देना पड़ता था। लेकिन अब इस नियम को भीख मांगने के लिए बदल दिया गया है।
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