जानें क्या है ‘लिविंग विल’? जिसे सहमति देने वाले पहले व्यक्ति बने उच्च न्यायालय के न्यायाधीश…

Know what is a 'living will': जानें क्या है 'लिविंग विल'? जिसे सहमति देने वाले पहले व्यक्ति बने उच्च न्यायालय के न्यायाधीश...

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  • Publish Date - May 31, 2024 / 08:54 PM IST,
    Updated On - May 31, 2024 / 08:56 PM IST

Goa ‘Living Will’: पणजी। बंबई उच्च न्यायालय के न्यायाधीश एम. एस. सोनक ने शुक्रवार को यहां एक समारोह में ‘एंड ऑफ लाइफ केयर’ (ईओएलसी) वसीयत को अपनी सहमति दे दी। इसके साथ ही गोवा ‘एडवांस मेडिकल डायरेक्टिव्स’ (एएमडी) सुविधा शुरू करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है। ‘एंड ऑफ लाइफ केयर’ नीति उन लोगों को दी जाने वाली देखभाल है, जिनकी मौत करीब होती है।

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बंबई उच्च न्यायालय की गोवा पीठ में कार्यरत न्यायाधीश, ‘लिविंग विल’ के नाम से प्रचलित वसीयत को निष्पादित करने वाले पहले व्यक्ति बन गए है।’लिविंग विल’ वास्तव में एक दस्तावेज है, जिसमें कोई व्यक्ति यह बताता है कि वह भविष्य में गंभीर बीमारी की हालत में किस तरह का इलाज कराना चाहता है। यह वास्तव में इसलिए तैयार किया जाता है जिससे गंभीर बीमारी की हालत में अगर व्यक्ति खुद फैसले लेने की हालत में न रहे तो पहले से तैयार दस्तावेज के हिसाब से उसके बारे में फैसला लिया जा सके।

पणजी के निकट उच्च न्यायालय परिसर में आयोजित समारोह में डॉ. संदेश चोडाणकर और दिनेश शेट्टी गवाह के तौर पर जबकि गोवा सेवा निदेशालय की मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. मेधा साल्कर राजपत्रित अधिकारी के रूप में उपस्थित थीं। इस अवसर पर न्यायमूर्ति सोनक ने राज्य में एएमडी के क्रियान्वयन को संभव बनाने वाले सभी हितधारकों को बधाई दी। न्यायाधीश ने कहा कि इसके साथ ही गोवा देश का पहला राज्य बन गया है, जिसने उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के अनुरूप ‘लिविंग विल’ सुविधा को अक्षरश: लागू किया है। उन्होंने लोगों से ‘लिविंग विल’ की पेचीदगियों को समझने और सोच-समझकर निर्णय लेने की अपील भी की।

समारोह का आयोजन इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) की गोवा शाखा और गोवा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा किया गया था। इस अवसर पर अग्रिम चिकित्सा निर्देशों पर एक पुस्तिका का विमोचन किया गया। आईएमए की गोवा इकाई के पूर्व प्रमुख डॉ. शेखर साल्कर के साथ न्यायमूर्ति वाल्मीकि मेनेजेस और न्यायमूर्ति जितेंद्र जैन भी मौजूद थे। डॉ साल्कर ने कहा कि शीर्ष अदालत ने 2023 में एक फैसले में ‘एंड ऑफ लाइफ केयर विल’ का मार्ग प्रशस्त किया है, जो गंभीर रूप से बीमार रोगियों के लिए वरदान है।

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 Goa ‘Living Will’: उन्होंने कहा कि उनके अपने पिता को भी कष्ट उठाना पड़ा, क्योंकि उस समय ‘लिविंग विल’ निष्पादित करने का विकल्प उपलब्ध नहीं था। उन्होंने कहा कि उनके पिता बीमारी से जूझ रहे थे। उच्चतम न्यायालय ने फरवरी 2023 के अपने फैसले के माध्यम से अग्रिम चिकित्सा निर्देशों के क्रियान्वयन को आसान बनाने के लिए पहले के फैसले को संशोधित किया।

 

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