बेंगलुरु, 30 जनवरी (भाषा) एमयूडीए भूमि आवंटन मामले की प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा जांच में आरोप लगाया गया है कि कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया की पत्नी पार्वती बी. एम. को मैसूरु के सभ्रांत इलाके में 14 भूखंड ‘‘अवैध रूप से आवंटित’’ किये गए थे और धन शोधन करने का प्रयास किया गया था।
ईडी द्वारा जारी अनंतिम कुर्की आदेश (पीएओ) में इन 14 भूखंडों का कथित तौर पर धन शोधन के लिए इस्तेमाल करने की कार्यप्रणाली की विस्तृत जानकारी दी गई है।
ईडी के आरोपों पर मुख्यमंत्री सिद्धरमैया और उनके परिवार की ओर से अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) मामले में याचिकाकर्ता, कार्यकर्ता स्नेहमयी कृष्णा ने 104 पन्नों के पीएओ की प्रति पीटीआई-भाषा के साथ साझा की है।
इस आदेश के अनुसार, ‘‘अवैध आवंटन प्रभाव में आकर किया गया था।’’ हालांकि, यह स्पष्ट रूप से नहीं बताया गया कि किसके प्रभाव में किया गया।
ईडी ने दावा किया कि पार्वती ने धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के तहत जांच शुरू होने के बाद इन 14 भूखंडों को वापस कर दिया।
ईडी ने आरोप लगाया, ‘‘भूखंडों का अवैध आवंटन कोई एक घटना नहीं है। एमयूडीए अधिकारियों/कर्मचारियों और रियल एस्टेट कारोबारियों/प्रभावशाली व्यक्तियों के बीच गहरी सांठगांठ है। एमयूडीए अधिकारियों/कर्मचारियों द्वारा नकदी, अचल संपत्तियों, वाहनों आदि के बदले में बड़ी संख्या में अवैध आवंटन किये गए।’’
ईडी ने आरोप लगाया कि हालांकि पार्वती ने भूखंडों को एमयूडीए को वापस कर दिया है, लेकिन जांच से यह स्पष्ट है कि मामले के आरोपियों द्वारा धन शोधन का प्रयास किया गया था। आरोपियों में सिद्धरमैया, उनकी पत्नी पार्वती, उनके भाई मल्लिकार्जुन स्वामी, जमीन के मालिक जे देवराजू और एमयूडीए के अधिकारी, रियल एस्टेट कारोबारी और प्रभावशाली व्यक्ति शामिल हैं।
ईडी के अनुसार, ‘‘जांच से पता चला है कि लगभग 1,095 एमयूडीए भूखंडों को अवैध रूप से आवंटित किया गया।’’
भाषा सुभाष माधव
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