जम्मू कश्मीर में ‘गुपकार’ की गूंज, क्या आपको पता है आखिर क्या है..ये, इसका कोई ‘गुप्त’ एजेंडा है? तो जानिए

जम्मू कश्मीर में 'गुपकार' की गूंज, क्या आपको पता है आखिर क्या है..ये, इसका कोई 'गुप्त' एजेंडा है? तो जानिए

  •  
  • Publish Date - June 22, 2021 / 10:18 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:49 PM IST

नई दिल्ली। महबूबा मुफ्ती, फारुक अब्दुल्ला हो या फिर और कोई अलगाववादी नेता इनका नाम ‘गुपकार’ टीम से जोड़ा जाता है.. लेकिन क्या आपका मालूम है कि ये ‘गुपकार’ आखिर है क्या। आपको बता ही दें कि श्रीनगर में एक गुपकार रोड है और इसी रोड पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के मुखिया फारूक अब्दुल्ला का निवास स्थान है, जहां 4 अगस्त 2019 को कश्मीर के 8 स्थानीय दलों ने बैठक की थी।

पढ़ें- America bomb explosion video 2021 : समंदर में लग गई…

यह जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के ठीक एक दिन पहले का समय था और इस दौरान जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों की भारी तैनाती थी। इसी माहौल में कश्मीर के दलों ने अब्दुल्ला के आवास पर एक बैठक की थी। बैठक में एक प्रस्ताव भी पारित किया था, जिसे गुपकार घोषणा नाम दिया गया था। एक बार फिर इन दलों की बैठक होने जा रही है। 22 अगस्त, 2020 को भी 6 राजनीतिक राजनीतिक दलों ने बैठक की थी।

पढ़ें- छत्तीसगढ़ में कोरोना से बड़ी राहत, संक्रमण दर घटकर 1…

क्या है गुपकार का चीन-पाक कनेक्शन : गुपकार घोषणा को चीन और पाकिस्तान से भी जोड़कर देखा जा रहा है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने गुपकार घोषणा की सराहना करते हुए इसे महत्वपूर्ण कदम बताया था। हालांकि फारूक अब्दुल्ला ने यह कहकर इस पर पानी डालने की कोशिश की थी कि हम किसी के इशारे पर यह काम नहीं कर रहे हैं।

पढ़ें- ‘370 पर कोई समझौता नहीं’.. तालिबान से बात हो सकती है तो पाकिस्तान स…

इस बीच, फारूक अब्दुल्ला ने चीन को लेकर भी एक बयान दिया था, जो काफी सुर्खियों में रहा था। उन्होंने उम्मीद जताई थी कि अनुच्छेद 370 की फिर से बहाली में चीन से मदद मिल सकती है। उन्होंने यह भी कहा था कि कश्मीर के लोग चीन के साथ रहना चाहेंगे।

पढ़ें- 7th pay commission update 2021 : लाखों सरकारी कर्मचारी भी पाएंगे के…

जानकारों की मानें तो कश्मीरी दलों की अनुच्छेद 370 बहाल करने की कोशिशें आने वाले दिनों में कश्मीर की शांति में खलल डाल सकती है। क्योंकि इसका एक कारण यह भी माना जा रहा है कि जम्मू-कश्मीर को केन्द्र शासित राज्य का दर्जा देने के बाद कश्मीर के इन नेताओं की राजनीति भी बंद हो गई है। दूसरी ओर, जम्मू इलाके में गुपकार का विरोध भी शुरू हो गया है। वहां पर महबूबा मुफ्ती के खिलाफ प्रदर्शन किया गया साथ ही उनके पोस्टर भी जलाए गए।

पढ़ें- क्षत्रिय से मुसलमान बना.. फिर 1 हजार से अधिक लोगों का धर्म परिवर्तन…

गुपकार से जुड़ी पार्टियां और नेता : फारूक अब्दुल्ला की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में नेशनल कॉन्फ्रेंस, महबूबा मुफ्ती की पीडीपी, पीपल्स कॉन्फ्रेंस, पैंथर्स पार्टी, सीपीआई (एम) आदि पार्टियों ने हिस्सेदारी की थी। बैठक में मुजफ्फर हुसैन बेग, अब्दुल रहमान वीरी, सज्जाद गनी लोन, अधिकारी से नेता बने शाह फैजल, एमवाई तारीगामी, उमर अब्दुल्ला आदि नेता शामिल थे।

पढ़ें- सोने के आभूषण से भरा 2 बैग जब्त, 6 करोड़ आंकी जा रही है कीमत, रेलवे…

क्या चाहता है ‘गुपकार’ : गुपकार से जुड़े दल और नेता चाहते हैं कि जम्मू कश्मीर में आर्टिकल 370 और आर्टिकल 35ए, जम्मू-कश्मीर का संविधान और इसके राज्य के दर्जे को फिर से बहाल किया जाए। इन दलों ने इसके लिए सामूहिक लड़ाई का भी संकल्प लिया है। घोषणा पत्र में कहा गया है कि 5 अगस्त 2019 (अनुच्छेद 370 की समाप्ति का दिन) को केन्द्र सरकार द्वारा लिया गया फैसला जम्मू-कश्मीर एवं वहां का वाशिंदों के अधिकारों के खिलाफ है।