नयी दिल्ली, 14 नवंबर (भाषा) राष्ट्रीय राजधानी की एक अदालत ने आठ साल की बच्ची से 2016 में बलात्कार के दोषी 28-वर्षीय व्यक्ति को 20 साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाते हुए कहा है कि ‘‘एक बच्ची से बलात्कार नृशंस कृत्य है’’।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश बबीता पुनिया उस व्यक्ति के खिलाफ़ सजा पर बहस सुन रही थीं, जिसे भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 376(2) (सोलह साल से कम उम्र की लड़की से बलात्कार) के तहत दोषी ठहराया गया था।
विशेष लोक अभियोजक श्रवण कुमार बिश्नोई ने इस जघन्य कृत्य के लिए अधिकतम सजा का अदालत से अनुरोध किया।
अदालत ने 11 नवंबर को अपने फैसले में कहा, ‘‘बच्ची का बलात्कार नृशंस (कृत्य) है। बच्चे किसी भी समाज की सबसे कीमती धरोहर हैं। समाज का यह कर्तव्य है कि वह न केवल उन्हें यौन हिंसा और उत्पीड़न से बचाए, बल्कि उन्हें खुश भी रखे।’’
अदालत ने कहा कि दोषी ने तीन अप्रैल, 2016 को उस वक्त बच्ची का अपहरण कर उसके साथ बलात्कार किया था, जब वह नूडल्स खरीदने के लिए एक भोजनालय जा रही थी।
अदालत ने कहा, ‘‘जो एक साधारण खुशी का मौका था, वह (बच्ची के लिए) एक हिंसक और दर्दनाक अनुभव बन गया, जो उसके जीवन भर उसके साथ रहेगा।’’
न्यायाधीश ने इस दलील को भी खारिज कर दिया कि चूंकि यह ‘डिजिटल पेनिट्रेशन’ का मामला था, इसलिए इस मामले में नरम रुख अपनाया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘मैं इससे सहमत नहीं हूं। विधायिका ने ‘डिजिटल’ और ‘लैंगिक पेनिट्रेशन’ के बीच कोई अंतर नहीं किया है।’
न्यायाधीश ने कहा कि सजा सुनाते समय अपराध और सजा के बीच सही संतुलन बनाना होगा।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं बीस (20) साल के कठोर कारावास की सजा को उचित मानता हूं। मेरे विचार से यह उचित दंड, समाज को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करेगा और दोषी को उसके कृत्य की गंभीरता का एहसास कराएगा, साथ ही पुनर्वास की गुंजाइश भी छोड़ेगा।’’
अदालत ने पीड़िता को 13.5 लाख रुपये का मुआवजा भी देने का निर्देश दिया।
भाषा सुरेश रंजन
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