न्यायालय ने सीएक्यूएम से प्रदूषण और पराली जलाने पर रोक लगाने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी मांगी

न्यायालय ने सीएक्यूएम से प्रदूषण और पराली जलाने पर रोक लगाने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी मांगी

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  • Publish Date - September 24, 2024 / 07:10 PM IST,
    Updated On - September 24, 2024 / 07:10 PM IST

नयी दिल्ली, 24 सितंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) से पूछा कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के इलाकों में पराली जलाने से होने वाले वायु प्रदूषण को रोकने के लिए क्या कदम उठाये जा रहे हैं।

जस्टिस अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने आयोग से कहा कि वह सुनवाई की अगली तारीख (27 सितंबर) को इस मुद्दे पर उठाए गए कदमों की जानकारी दे।

मामले में न्याय मित्र की भूमिका निभा रहीं वरिष्ठ अधिवक्ता अपराजिता सिंह ने कुछ अखबारों की खबरों का हवाला देते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि दिल्ली के पड़ोसी राज्यों में पराली जलाना शुरू हो गया है।

उन्होंने न्यायालय से सीएक्यूएम से स्पष्टीकरण मांगने का आग्रह किया कि पराली जलाने से होने वाले वायु प्रदूषण को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं और सीएक्यूएम अधिनियम के तहत धान की पराली जलाने पर रोक लगाने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही तय करने के वास्ते क्या कदम उठाए जा रहे हैं।

न्यायमूर्ति ओका ने केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से कहा कि अदालत शुक्रवार (27 सितंबर) तक इन सवालों के जवाब चाहती है।

पीठ ने कहा कि चूंकि दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के मुद्दे पर पर्यावरणविद् एमसी मेहता की जनहित याचिका पर 27 सितंबर को सुनवाई होनी है, इसलिए वह पराली जलाने पर सीएक्यूएम का जवाब जानना चाहेगी।

शीर्ष अदालत ने इस मामले में पहले कहा था कि सर्दियों के दौरान दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण में वृद्धि के कारणों में पराली जलाना भी है।

पिछली सुनवाई के दौरान 27 अगस्त को शीर्ष अदालत ने कर्मचारियों की कमी के कारण दिल्ली और एनसीआर के राज्यों के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को ‘अप्रभावी’ करार दिया था और राष्ट्रीय राजधानी एवं आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए जिम्मेदार निकाय से यह बताने के लिए कहा था कि वह प्रदूषण एवं पराली जलाये जाने की स्थिति से निपटने के लिए क्या उपाय कर रहा है।

इसने पांच एनसीआर राज्यों को संबंधित प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में रिक्त पदों को 30 अप्रैल, 2025 से पहले भरने का निर्देश दिया था।

भाषा सुरेश वैभव

वैभव