नयी दिल्ली, 27 नवंबर (भाषा) भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना ने बुधवार को अदालती प्रक्रियाओं में पूर्व निर्धारित संचार के महत्व पर जोर दिया और कहा कि वकीलों को सुनवाई के दौरान मामले वापस लेने के लिए मौखिक रूप से दलीलें देने के बजाय अग्रिम पत्र जमा करने चाहिए।
सीजेआई शीर्ष अदालत में न्यायिक प्रक्रिया को सुव्यवस्थित बनाने के लिए कई कदम उठा रहे हैं। 12 नवंबर को, उन्होंने कहा था कि मामलों को तत्काल सूचीबद्ध करने और सुनवाई के लिए कोई भी मौखिक दलील स्वीकार नहीं की जाएगी। उन्होंने वकीलों से इसके लिए ईमेल या लिखित पत्र भेजने का आग्रह किया था।
बुधवार को, सीजेआई ने पारिवारिक विवाद मामले में स्थानांतरण याचिका पर सुनवाई के दौरान वकीलों को मौखिक दलीलें देने के बजाय मामला वापस लेने के लिए पहले से दस्तावेज जमा कराने का सुझाव दिया।
मामले से जुड़े वकील ने पीठ को सूचित किया कि पक्षों ने अपने मतभेद सुलझा लिए हैं और स्थानांतरण याचिका वापस लेना चाहते हैं।
सीजेआई ने मामला वापस लेने की अनुमति देते हुए कहा कि अग्रिम नोटिस देने से अदालत की कार्यक्षमता बढ़ेगी।
सीजेआई ने कहा, “यदि आप ऐसा कोई अनुरोध करना चाहते हैं, तो हमेशा कोर्ट मास्टर को एक या दो दिन पहले एक पत्र भेज सकते हैं। इससे हमें मामले को सुलझाने में मदद मिलेगी या फाइलें पढ़ने की जरूरत नहीं होगी। जब भी आपके पास मामला वापस लेने का अनुरोध आए, तो आप हमेशा अग्रिम पत्र जमा कर सकते हैं।”
भाषा जोहेब नरेश
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