नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि कानूनों को 14 महीनों बाद वापस लेने का ऐलान कर दिया है। उन्होंने अपने सम्बोधन में कहा कि सरकार इन तीनों कानूनों को एक अच्छी नीयत से ले कर आई थी मगर कुछ किसानों को ये बात समझा नहीं पाए। प्रधानमंत्री ने किसानों से अब अपने-अपने घर लौटने की भी अपील की।
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उन्होंने आगे ये भी बताया कि इसी महीने के अंत में शुरू होनेवाले संसद सत्र में सरकार तीनों कानूनों को संवैधानिक प्रक्रिया से रिपील करेगी यानी वापस लेगी। इस पर किसान नेता राकेश टिकैत ने ऐलान किया है कि जबतक ये कृषि कानून वापस नहीं लिए जाते तबतक आंदोलन जारी रहेगा और किसान उस दिन का इंतज़ार करेंगे जब संसद में इन कानूनों को रद्द किया जायेगा। पर किसी भी कानून को वापस लेने की क्या प्रक्रिया है? और सरकार किस संवैधानिक प्रक्रिया के ज़रिये इन कानूनों को वापस लेगी ? आज बात करेंगे इसी के बारे में।
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दरअसल किसी भी कानून को वापस लेने की प्रक्रिया कुछ उसी प्रकार की होती जिस प्रकार किसी कानून को बनाया जाता है। हम step by step इस प्रोसेस को समझते हैं।
1. पहले सरकार संसद के दोनों सदनों में कानूनों को वापस लेने के सम्बन्ध में एक बिल पेश करेगी।
2. इसके बाद संसद के दोनों सदनों से, यानी की लोक सभा और राज्य सभा से इस बिल को बहुमत से पास कराया जायेगा ।
3. दोनों सदनों से पास होने के बाद इस बिल को राष्ट्रपति के सामने पेश किया जायेगा।
4. इस बिल पर राष्ट्रपति की मुहर लगते ही सरकार एक नोटिफिकेशन जारी करेगी जिसके बाद ये तीनों कानून रद्द हो जायेंगे।
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आपको बता दें कि कृषि कानूनों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में भी कार्रवाई जारी है। लिहाज़ा इन कानूनों को सुप्रीम कोर्ट से भी रद्द कराया जा सकता है। सरकार चाहे तो सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर कर इन कानूनों को रद्द करने के लिए अपनी सहमति दे सकती है जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट के आर्डर के ज़रिये ये कानून रद्द हो जायेंगे।