बदायूं (उप्र), 17 दिसंबर (भाषा) बदायूं की एक अदालत 24 दिसंबर को तय करेगी कि जामा मस्जिद शम्सी बनाम नीलकंठ मंदिर मामले में सुनवाई होगी या नहीं।
मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ता अनवर आलम ने मंगलवार को बताया कि उन्होंने प्रार्थना पत्र के साथ उच्चतम न्यायालय के आदेश की प्रति अदालत में पेश की और कहा कि शीर्ष न्यायालय ने 12 दिसंबर को आदेश दिया है कि ऐसे मामलों में निचली अदालत कोई आदेश पारित न करे और न ही सर्वे पर कोई निर्णय ले।
मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ता ने कहा कि अगर निचली अदालत कोई आदेश पारित नहीं कर सकतीं तो ऐसे मामलों की सुनवाई का कोई औचित्य नहीं है।
वहीं, हिंदू पक्ष के वकील विवेक रेंडर ने अदालत में अपनी दलीलें पेश करते हुए कहा कि उच्चतम न्यायालय ने कहीं भी यह नहीं कहा है कि चल रही सुनवाई रोकी जाए।
उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने साफ आदेश दिया है कि जिन मामलों में सुनवाई चल रही है, उन्हें रोका नहीं जा सकता, लेकिन निचली अदालत किसी तरह का आदेश या अंतरिम आदेश जारी नहीं कर सकती।
रेंडर ने यह भी कहा कि मुस्लिम पक्ष के वकील जानबूझकर मामले में देरी करने के लिए ऐसी दलीलें पेश कर रहे हैं।
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद दीवानी न्यायाधीश (सीनियर डिवीजन) अमित कुमार ने इस मामले में 24 दिसंबर की तारीख तय की है और उस दिन तय किया जाएगा कि इस मामले में चल रही कार्यवाही जारी रहनी चाहिए या नहीं।
शम्सी जामा मस्जिद सोथा मोहल्ला नामक एक ऊंचे क्षेत्र पर बनी है और इसे बदायूं शहर की सबसे ऊंची इमारत माना जाता है। इसे देश की तीसरी सबसे पुरानी और सातवीं सबसे बड़ी मस्जिद भी माना जाता है जहां एक बार में 23,500 लोग आ सकते हैं।
भाषा सं जफर नरेश नोमान
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