नईदिल्ली: #SarkaronIBC24 बचपन से हमारे बड़े-बुजुर्ग हमें एक बात समझाते आए हैं कि दूसरों का बुरा करोगे तो एक दिन तुम्हारा भी बुरा होगा.. जैसा करोगे वैसा भरोगे… लेकिन हम आपसे आज ये बात क्यों कह रहे है… दरअसल हम बात करना चाह रहे हैं हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान की… जो भारत में बेगुनाहों का खून बहाकर, भारत में अशांति फैलाकर खुश होता है… लेकिन आज वहीं आतंकी वही दहशतगर्द पाकिस्तान में आशांति फैला रहे हैं.. वहां हालात इस कदर खराब हैं कि आधा पाकिस्तान बगावत की आग में जल रहा है… आर्थिक बदहाली की कगार पर पहुंच चुका ये देश अपने वजूद के लिए संघर्ष कर रहा है….
पाकिस्तान 4 प्रांतो में बंटा है.. जिनमें सबसे प्रमुख है पंजाब जो आबादी के आधार पर पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत है.. पाकिस्तान की राजनीति और नौकरशाही संस्थाओं में पंजाब के लोगों का ही दबदबा है. दूसरा प्रांत है सिंध.. तीसरा खैबर पख्तूनख्वाह और चौथा और सबसे बड़ा प्रांत है बलूचिस्तान..
पाकिस्तान के इन चारों प्रांतो में बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वाह प्रांत के लोगों ने बगावत का झंड़ा बुलंद कर रखा है.. ये प्रांत पाकिस्तान के कुल क्षेत्रफल के आधे क्षेत्रफल के बराबर है.. यहां आए दिन पाकिस्तानी सेना और बलूच लिबरेशन आर्मी के लड़ाकों के बीच मठभेड़ होती रहती है जिसमें कभी बलूच लिबरेशन आर्मी तो कभी पाकिस्तान सेना एक दूसरे पर भारी पड़ते है..
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पाकिस्तान का बलूचिस्तान प्रांत देश का सबसे बड़ा प्रांत है.. जो 3.47 लाख वर्ग किलोमीटर में फैला है..और देश के कुल क्षेत्रफल का 45% है.. बलूचिस्तान की कुल आबादी 1.48 करोड़ है… बलूचिस्तान तेल और गैस संसाधनों से संपन्न है.. फिर भी यहां के लोग पाकिस्तान के सबसे गरीब समुदाय में आते हैं…पाकिस्तान में 2023 में 650 आतंकी हमले हुए जिनमें से 23% अकेले बलूचिस्तान में हुए थे
बलूचिस्तान में ऐसे हालात क्यों बने..इतिहास के पन्नों को पलटे तो कई कारण हैं..लेकिन जो सबसे बड़ी वजह है…पाकिस्तानी सरकार का बलूचिस्तान के साथ भेदभाव.. चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा यहीं से होकर गुजरता है.. लेकिन इस प्रोजेक्ट से पंजाबी और सिंध के लोगों को ही रोजगार मिला.. बलूच लोगों की उपेक्षा की गई… पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में पंजाब से 173 सीटे हैं जबकि बलूचिस्तान की सिर्फ 20 सीटें हैं।
बलूचिस्तान की तरह ही पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वाह प्रांत में भी बगावत का झंडा बुलंद है.. यहां भी चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा होकर गुजरता है… साल 2004 में पाकिस्तानी सेना ने अमेरिका के दबाव में अलकायदा आतंकियों के खिलाफ सैन्य अभियान शुरू किया था.. जिसके बाद से खैबर पख्तूनख्वाह में सशस्त्र विद्रोह चल रहा है…
खैबर आज तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान का गढ़ है.. यहां लश्कर, अल-कायदा और ISIS सक्रिय है. तहरीक-ए-तालिबान यानी TTP का सपना इस्लामाबाद में तालिबान जैसी सरकार स्थापित करने का है.. पाकिस्तान सरकार का आरोप है कि अफगानिस्तान की तालिबान सरकार TTP को हथियार दे रही है…
ये तो सिर्फ पाकिस्तान के दो प्रांतो की कहानी है.. अगर इसमें पाक अधिकृत कश्मीर को भी शामिल कर लिया जाए तो गलत नहीं होगा.. पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के लोगों ने कभी पाकिस्तान के कब्जे को स्वीकार नहीं किया.. कश्मीरी लोग कभी शांतिपूर्ण रूप से तो कभी सशस्त्र विद्रोह के जरिए पाकिस्तानी सत्ता को अस्वीकार करते रहे हैं… पाकिस्तान के इन प्रांतों में अशांति के चलते चीन का महत्वाकांक्षी CPEC प्रोजेक्ट भी खटाई में पड़ चुका है… चीन ने इसकी फंडिंग बंद कर दी है… तो आज पाकिस्तान दो राहे पर खड़ा है… जहां उसके सामने अपने वजूद को बनाए रखने की चुनौती है..
ब्यूरो रिपोर्ट आईबीसी24
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