किशोर वय का प्रेम ‘कानूनी तौर पर अस्पष्ट क्षेत्र’ के तहत आता है: दिल्ली उच्च न्यायालय

किशोर वय का प्रेम ‘कानूनी तौर पर अस्पष्ट क्षेत्र’ के तहत आता है: दिल्ली उच्च न्यायालय

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  • Publish Date - September 27, 2024 / 09:27 PM IST,
    Updated On - September 27, 2024 / 09:27 PM IST

नयी दिल्ली, 27 सितंबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि किशेर वय का प्रेम और ‘इस तरह के अपराध’ कानूनी तौर पर अस्पष्ट क्षेत्र (लीगल ग्रे एरिया) के तहत आते हैं और यह बहस का विषय है कि क्या इसे अपराध के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है।

अदालत ने कहा कि ऐसे कई मामले सामने आ रहे हैं, जहां 17 साल से अधिक उम्र की लड़कियां अपनी पसंद के पुरुषों के साथ भाग जाती हैं और जब वे पकड़ी जाती हैं, तो लड़की के माता-पिता उन्हें पुलिस के सामने बयान बदलने के लिए मजबूर करते हैं।

न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा, ‘‘पुलिस ऐसे बयान भी बाद के चरण में दर्ज करती है जो पहले के बयानों के बिल्कुल विपरीत होते हैं। दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 164 के तहत दर्ज किए गए अधिकांश बयान भी धारा 161 के तहत पीड़िता द्वारा दिए गए पहले के बयानों के अनुरूप नहीं होते हैं जो विरोधाभासी है।’’

अदालत ने कहा, ‘‘किशोर वय के प्रेम और ऐसे अपराध कानूनी रूप से अस्पष्ट क्षेत्र में आते हैं और यह बहस का विषय है कि क्या इसे वास्तव में अपराध के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है। यह अदालत फिलहाल इस समय कोई टिप्पणी नहीं कर रही है कि अपराध याचिकाकर्ता (आरोपी) द्वारा किया गया है या नहीं।’’

उच्च न्यायालय ने 17 साल की लड़की के अपहरण के आरोपी 22 वर्षीय व्यक्ति को जमानत दे दी। याचिकाकर्ता 19 अप्रैल, 2022 से हिरासत में है और आरोपपत्र दायर किया गया है।

नाबालिग लड़की के पिता ने जनवरी 2022 में एक प्राथमिकी दर्ज कराई थी जिसमें आरोप लगाया गया था कि आरोपी ने उनकी बेटी को गुमराह किया और उसे अपने साथ लेकर चला गया। इसके बाद मार्च 2022 में लड़की को बचाया गया।

भाषा संतोष माधव

माधव