Delhi High Court on Teachers of private schools: नयी दिल्ली, 11 जुलाई। दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि गैर सहायता प्राप्त निजी स्कूलों के शिक्षक सरकारी स्कूलों के अपने समकक्षों के समान वेतन और भत्ते पाने के हकदार हैं। अदालत ने सातवें केंद्रीय वेतन आयोग के अनुसार अपने शिक्षकों को वेतन देने के उच्च न्यायालय की एकल-न्यायाधीश पीठ के निर्देश को चुनौती देने वाली एक निजी स्कूल की याचिका को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की।
अदालत ने कहा कि दिल्ली स्कूल शिक्षा अधिनियम की धारा 10 में प्रावधान है कि किसी मान्यता प्राप्त निजी स्कूल के शिक्षकों के वेतन और भत्ते, चिकित्सा सुविधाएं, पेंशन, ग्रेच्युटी, भविष्य निधि और अन्य निर्धारित लाभ का पैमाना सरकारी स्कूल में उनके समकक्ष शिक्षकों से कम नहीं होगा।
अदालत ने यह भी कहा कि शिक्षा निदेशालय ने 17 अक्टूबर, 2017 को एक अधिसूचना में निर्देश दिया था कि सभी मान्यता प्राप्त स्कूल सातवें केंद्रीय वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करेंगे।
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न्यायमूर्ति मनमोहन और न्यायमूर्ति मिनी पुष्करणा की पीठ ने याचिका का निपटारा करते हुए अपने हालिया फैसले में कहा कि स्कूल अपनी वैधानिक जिम्मेदारी से बच नहीं सकते और कानून के अनुसार बकाया का भुगतान करने के लिए बाध्य हैं।
सातवें केंद्रीय वेतन आयोग का लाभ स्कूल द्वारा नहीं दिए जाने पर अपीलकर्ता स्कूल के तीन शिक्षकों ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।
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इस पर एकल न्यायाधीश की पीठ ने दिसंबर 2021 में पारित अपने फैसले में स्कूल को सातवें केंद्रीय वेतन आयोग के प्रावधानों के तहत शिक्षकों को वेतन एवं अन्य लाभ देने का निर्देश दिया और कहा कि वे एक जनवरी, 2016 से बकाया भुगतान के हकदार हैं।