तमिलनाडु ट्रेन भिड़ंत: तीन सदस्यीय तकनीकी टीम ने निरीक्षण करने के बाद गड़बड़ी की आशंका जताई

तमिलनाडु ट्रेन भिड़ंत: तीन सदस्यीय तकनीकी टीम ने निरीक्षण करने के बाद गड़बड़ी की आशंका जताई

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  • Publish Date - October 13, 2024 / 08:59 PM IST,
    Updated On - October 13, 2024 / 08:59 PM IST

नयी दिल्ली, 13 अक्टूबर (भाषा) सिग्नल एवं दूरसंचार, इंजीनियरिंग और परिचालन विभाग के वरिष्ठ रेलवे अधिकारियों की तीन सदस्यीय तकनीकी टीम ने तमिलनाडु के कवरैप्पेट्टै रेलवे स्टेशन पर दुर्घटना स्थल का निरीक्षण करने के बाद गड़बड़ी की आशंका जताई है। रेलवे सूत्रों ने यह जानकारी दी।

ग्यारह अक्टूबर को, ट्रेन संख्या 12578 मैसूरू-दरभंगा बागमती एक्सप्रेस तमिलनाडु के चेन्नई रेल मंडल के कवरैप्पेट्टै रेलवे स्टेशन पर रात लगभग साढ़े 8 बजे एक खड़ी मालगाड़ी से टकरा गई थी, जिसमें नौ यात्री घायल हो गए थे।

निरीक्षण दल से जुड़े एक सूत्र ने बताया, “वरिष्ठ अधिकारियों की टीम ने पाया है कि इंटरलॉकिंग सिस्टम के यांत्रिक हिस्से खुले हुए थे। आमतौर पर ये हिस्से इंजन और बोगियों के भारी प्रभाव के कारण दुर्घटना के बाद टूट जाते हैं।”

उन्होंने कहा, “ऐसा लगता है कि इंटरलॉकिंग प्रणाली में गड़बड़ी करने वाले व्यक्तियों ने किसी प्रशिक्षित व्यक्ति से जानकारी प्राप्त की थी और अनुभव हासिल करने के लिए पहले कहीं और ऐसा करने का प्रयास किया था।”

रेलवे अधिकारियों ने बताया कि पहले भी कवरैप्पेट्टै रेलवे स्टेशन के पास विभिन्न स्थानों से कुछ मामले सामने आए थे, जहां गड़बड़ी करने वालों ने इंटरलॉकिंग सुरक्षा प्रणाली से छेड़छाड़ की कोशिश की थी, लेकिन वे इसमें सफल नहीं हो सके।

सूत्र ने कहा, “शायद उन्होंने कहीं और ऐसा करके अनुभव प्राप्त किया और अंततः कवरैप्पेट्टै में अपनी साजिश को अंजाम दिया। इंटरलॉकिंग प्रणाली को कुछ ही मिनट में उलट पुलट कर दिया गया क्योंकि मैसूरु-दरभंगा एक्सप्रेस से चार मिनट पहले ही एक ट्रेन उक्त इंटरलॉकिंग बिंदु को पार कर गई थी।”

रेलवे अधिकारियों ने बताया कि घटनास्थल की स्थिति की जांच करने के बाद ऐसा प्रतीत हुआ कि सिग्नल प्रणाली में कोई खराबी नहीं थी या सिग्नल विभाग की ओर से कोई गलती नहीं हुई थी।

रेलवे के एक अधिकारी ने कहा, ‘शुरू में ऐसा लगा कि सिग्नल मुख्य लाइन के लिए दिया गया था, लेकिन इंटरलॉकिंग लूप लाइन के लिए की गई थी, जिसके कारण यात्री ट्रेन लूप लाइन में घुस गई और खड़ी मालगाड़ी से टकरा गई। हालांकि, अब घटनास्थल पर मिले साक्ष्य कुछ और ही संकेत दे रहे हैं।’

उन्होंने कहा, ‘अब ऐसा लग रहा है कि चूंकि इंटरलॉकिंग प्वाइंट से छेड़छाड़ की गई था, इसलिए इस बात की प्रबल संभावना है कि ट्रेन पहले इंटरलॉकिंग प्वाइंट पर पटरी से उतरी और फिर अपनी तेज गति के कारण मालगाड़ी की ओर बढ़ी और उससे टकरा गई। यही कारण हो सकता है कि लोको पायलट ने इंटरलॉकिंग प्वाइंट पर तेज झटका महसूस किया।’

इससे पहले, सुरक्षा विशेषज्ञों के एक वर्ग ने इंटरलॉकिंग प्वाइंट पर मैसूरू-दरभंगा एक्सप्रेस के पटरी से उतरने की आशंका जताई थी।

रेलवे के उच्चस्तरीय निरीक्षण के अलावा, रेलवे सुरक्षा आयुक्त और राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण ने भी इस मामले में गहन जांच शुरू कर दी है।

भाषा जोहेब दिलीप नरेश

नरेश