एचआरसीटी जांच की कीमत सीमित करने के अनुरोध संबंधी याचिका को प्रतिवेदन के रूप में लें : अदालत

एचआरसीटी जांच की कीमत सीमित करने के अनुरोध संबंधी याचिका को प्रतिवेदन के रूप में लें : अदालत

एचआरसीटी जांच की कीमत सीमित करने के अनुरोध संबंधी याचिका को प्रतिवेदन के रूप में लें : अदालत
Modified Date: November 29, 2022 / 09:01 pm IST
Published Date: May 31, 2021 12:34 pm IST

नयी दिल्ली, 31 मई (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने उस जनहित याचिका को एक प्रतिवेदन के रूप में लिये जाने का दिल्ली सरकार को सोमवार को निर्देश दिया जिसमें ‘हाई रेजोल्यूशन कंप्यूटराइज्ड टोमोग्राफी’ (एचआरसीटी) की कीमत को सीमित किये जाने का अनुरोध किया गया है।

एचआरसीटी जांच मरीजों के फेफड़ों में कोविड-19 संक्रमण की मौजूदगी और उसकी गंभीरता का पता लगाने के लिए की जाती है।

मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की एक पीठ ने सरकार से कहा कि वह इस संबंध में कानून, नियमों, विनियमों और सरकारी नीति के अनुसार और कुछ अन्य राज्यों द्वारा एचआरसीटी की कीमत को घटाने के लिए उठाये गये कदमों को ध्यान में रखते हुए निर्णय लें।

 ⁠

इस निर्देश के साथ ही अदालत ने वकील शिवलीन पसरीचा द्वारा दाखिल याचिका का निस्तारण कर दिया। वकील ने याचिका में दावा किया था कि कोविड-19 के कई रूपों (वैरिएंट) का आरटी-पीसीआर के जरिये पता नहीं लगता है और डॉक्टर एचआरसीटी जांच कराने को कहते हैं।

हालांकि, दिल्ली सरकार के अस्पतालों में और केंद्र सरकार की स्वास्थ्य योजना के तहत परीक्षण की उचित कीमत है, लेकिन राष्ट्रीय राजधानी में निजी अस्पतालों में इसकी कीमत 5,000 रुपये से 6,500 रुपये के बीच है।

दिल्ली सरकार की ओर से पेश वकील ने अदालत से कहा कि याचिका को एक प्रतिवेदन के रूप में लिये जाने का निर्देश जारी किया जा सकता है और सरकार मामले को देखेगी और निर्णय लेगी।

याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील अमरेश आनंद ने सुनवाई के दौरान अदालत से कहा कि महाराष्ट्र, पंजाब, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, गुजरात और केरल जैसे कई राज्यों ने एचआरसीटी की कीमत सीमित कर दी है, लेकिन दिल्ली में यह अनियंत्रित है।

भाषा

देवेंद्र नरेश

नरेश


लेखक के बारे में