नई दिल्ली: Ajmer Dargah Controversy अजमेर दरगाह में प्राचीन मंदिर होने के दावे को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। अब इस दावे को लेकर 24 जनवरी को कोर्ट में सुनवाई हुई। इस याचिका को लेकर दरगाह कमेटी ने कोर्ट से इसे खारिज करने की मांग की। कमेटी का कहना है कि यह याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। याचिका दायर करने वाले विष्णु गुप्ता ने इस दावे के समर्थन में जवाब पेश किया, जिसके आधार पर कोर्ट ने दरगाह कमेटी से प्रतिक्रिया मांगी। दरगाह कमेटी ने जवाब दाखिल करने के लिए अधिक समय की मांग की। इस मामले में कोर्ट ने अगली सुनवाई की तारीख तय कर दी है।
Ajmer Dargah Controversy विष्णु गुप्ता ने कोर्ट में कहा कि यह मामला वर्शिप एक्ट 1991 के दायरे में नहीं आता है। उन्होंने तर्क दिया कि यह एक्ट केवल मंदिर, मस्जिद, गिरिजाघर और गुरुद्वारों पर लागू होता है, जबकि दरगाह और कब्रिस्तान इसके अंतर्गत नहीं आते। गुप्ता ने अपने दावे को साबित करने के लिए कई ऐतिहासिक दस्तावेज और साक्ष्य पेश करने की बात कही।
अंजुमन सैयद जादगान के सचिव सैयद सरवर चिश्ती ने याचिका को बेबुनियाद बताते हुए कहा कि यह केवल एक ट्रेंड बन चुका है, जहां हर ऐतिहासिक स्थल पर मंदिर खोजने की कोशिश की जा रही है। कोर्ट से बाहर आते ही सरवर चिश्ती ने मीडिया से चर्चा की। इस दौरान उन्होंने कहा कि ‘हम भी हमारा पक्ष रखने आए हैं कोर्ट में, कोर्ट का करते हैं हम सम्मान’, गरीब नवाज के वंशज पर उठे सवालों पर कहा- ‘800 साल से देश-दुनिया के सामने है सब कुछ’, PM मोदी सहित कई राजनीतिक हस्तियों ने पेश की है चादर
उन्होंने कहा, “अजमेर दरगाह में तीन मस्जिदें मौजूद हैं, और ऐसे दावों का कोई ऐतिहासिक या धार्मिक आधार नहीं है।” अजमेर दरगाह के वर्शिप एक्ट में आने को लेकर अंजुमन सैयद जादगान के एडवोकेट आशीष कुमार सिंह ने कहा कि यह मामला पेंडिंग है और सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ही इस पर कोई निर्णय लिया जाएगा। मामले में आगे की सुनवाई के लिए तारीख तय की गई है और अब तक कुल 11 प्रतिवादियों ने याचिका दायर की है, जिन पर अगली सुनवाई के दौरान विचार किया जाएगा।