Ajmer Dargah Controversy: ‘PM मोदी सहित कई राजनीतिक हस्तियों ने पेश की है चादर’, अजमेर दरगाह में प्राचीन मंदिर के दावे के बीच सैयद सरवर चिश्ती ने ऐसा क्यों कहा

Ajmer Dargah Controversy: 'PM मोदी सहित कई राजनीतिक हस्तियों ने पेश की है चादर', अजमेर दरगाह में प्राचीन मंदिर के दावे के बीच सैयद सरवर चिश्ती ने ऐसा क्यों कहा

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  • Publish Date - January 25, 2025 / 02:06 PM IST,
    Updated On - January 25, 2025 / 02:06 PM IST

नई दिल्ली: Ajmer Dargah Controversy अजमेर दरगाह में प्राचीन मंदिर होने के दावे को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। अब इस दावे को लेकर 24 जनवरी को कोर्ट में सुनवाई हुई। इस याचिका को लेकर दरगाह कमेटी ने कोर्ट से इसे खारिज करने की मांग की। कमेटी का कहना है कि यह याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। याचिका दायर करने वाले विष्णु गुप्ता ने इस दावे के समर्थन में जवाब पेश किया, जिसके आधार पर कोर्ट ने दरगाह कमेटी से प्रतिक्रिया मांगी। दरगाह कमेटी ने जवाब दाखिल करने के लिए अधिक समय की मांग की। इस मामले में कोर्ट ने अगली सुनवाई की तारीख तय कर दी है।

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Ajmer Dargah Controversy विष्णु गुप्ता ने कोर्ट में कहा कि यह मामला वर्शिप एक्ट 1991 के दायरे में नहीं आता है। उन्होंने तर्क दिया कि यह एक्ट केवल मंदिर, मस्जिद, गिरिजाघर और गुरुद्वारों पर लागू होता है, जबकि दरगाह और कब्रिस्तान इसके अंतर्गत नहीं आते। गुप्ता ने अपने दावे को साबित करने के लिए कई ऐतिहासिक दस्तावेज और साक्ष्य पेश करने की बात कही।

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अंजुमन सैयद जादगान के सचिव सैयद सरवर चिश्ती ने याचिका को बेबुनियाद बताते हुए कहा कि यह केवल एक ट्रेंड बन चुका है, जहां हर ऐतिहासिक स्थल पर मंदिर खोजने की कोशिश की जा रही है। कोर्ट से बाहर आते ही सरवर चिश्ती ने मीडिया से चर्चा की। इस दौरान उन्होंने कहा​ कि ‘हम भी हमारा पक्ष रखने आए हैं कोर्ट में, कोर्ट का करते हैं हम सम्मान’, गरीब नवाज के वंशज पर उठे सवालों पर कहा- ‘800 साल से देश-दुनिया के सामने है सब कुछ’, PM मोदी सहित कई राजनीतिक हस्तियों ने पेश की है चादर

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उन्होंने कहा, “अजमेर दरगाह में तीन मस्जिदें मौजूद हैं, और ऐसे दावों का कोई ऐतिहासिक या धार्मिक आधार नहीं है।” अजमेर दरगाह के वर्शिप एक्ट में आने को लेकर अंजुमन सैयद जादगान के एडवोकेट आशीष कुमार सिंह ने कहा कि यह मामला पेंडिंग है और सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ही इस पर कोई निर्णय लिया जाएगा। मामले में आगे की सुनवाई के लिए तारीख तय की गई है और अब तक कुल 11 प्रतिवादियों ने याचिका दायर की है, जिन पर अगली सुनवाई के दौरान विचार किया जाएगा।

 

अजमेर दरगाह विवाद क्या है?

अजमेर दरगाह में प्राचीन संकट मोचन महादेव मंदिर होने का दावा किया गया है। याचिकाकर्ता ने इसे प्रमाणित करने के लिए कोर्ट में याचिका दायर की है।

क्या अजमेर दरगाह वर्शिप एक्ट 1991 के तहत आती है?

याचिकाकर्ता का दावा है कि वर्शिप एक्ट 1991 केवल मंदिर, मस्जिद, गिरिजाघर और गुरुद्वारों पर लागू होता है, जबकि दरगाह और कब्रिस्तान इसके दायरे में नहीं आते।

अंजुमन सैयद जादगान का इस मामले में क्या कहना है?

अंजुमन सैयद जादगान का कहना है कि यह याचिका बेबुनियाद है और दरगाह में प्राचीन मंदिर होने का कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं है।

कोर्ट का इस मामले में अब तक क्या निर्णय है?

कोर्ट ने इस मामले में दरगाह कमेटी से जवाब मांगा है और अगली सुनवाई की तारीख तय की है।

सुप्रीम कोर्ट का वर्शिप एक्ट पर क्या फैसला है?

यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद ही वर्शिप एक्ट की स्थिति स्पष्ट होगी।