उच्चतम न्यायालय ने ताज ट्रेपेजियम जोन में पेड़ों की गणना की आवश्यकता पर जोर दिया |

उच्चतम न्यायालय ने ताज ट्रेपेजियम जोन में पेड़ों की गणना की आवश्यकता पर जोर दिया

उच्चतम न्यायालय ने ताज ट्रेपेजियम जोन में पेड़ों की गणना की आवश्यकता पर जोर दिया

:   Modified Date:  November 22, 2024 / 06:14 PM IST, Published Date : November 22, 2024/6:14 pm IST

नयी दिल्ली, 22 नवंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने ‘ताज ट्रेपेजियम जोन’ (टीटीजेड) में मौजूदा पेड़ों की गणना किये जाने एवं एक ऐसा निगरानी तंत्र विकसित करने की शुक्रवार को आवश्यकता जताई, जिससे पेड़ों की कटाई पर रोक सुनिश्चित हो।

टीटीजेड लगभग 10,400 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र है, जो उत्तर प्रदेश के आगरा, फिरोजाबाद, मथुरा, हाथरस और एटा जिलों तथा राजस्थान के भरतपुर जिले में फैला हुआ है।

न्यायमूर्ति अभय एस ओका एवं न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने टीटीजेड में पेड़ों की अनधिकृत कटाई का मुद्दा उठाने वाली एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि किसी भी अवैध कटाई की जांच के लिए क्षेत्र में मौजूदा पेड़ों की गिनती आवश्यक है।

पीठ ने कहा, ‘‘प्रथम दृष्टया, हमारा विचार है कि ताज ट्रेपेज़ियम जोन में मौजूदा पेड़ों की गणना करने की जरूरत है। पेड़ों की अवैध कटाई नहीं हो, यह सुनिश्चित करने के लिए एक निगरानी तंत्र की आवश्यकता है।’’

पीठ ने कहा कि किसी को मौजूदा पेड़ों की जनगणना करनी होगी और क्षेत्र में पेड़ों की अवैध कटाई का पता लगाने के लिए एक तंत्र होना चाहिए।

संबंधित प्राधिकारियों की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि या तो इसकी निगरानी करने वाली एजेंसी या तो केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति हो सकती है या राज्य वन विभाग।

शीर्ष अदालत की सहायता के लिए नियुक्त वरिष्ठ अधिवक्ता ए. डी. एन. राव ने सुझाव दिया कि जहां भी पेड़ की कटाई होती है, संबंधित पुलिस थाने के प्रभारी को व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी बनाया जाना चाहिए।

पीठ ने कहा, ‘‘हम ऐसा कर सकते हैं। लेकिन आज, कितने पेड़ उपलब्ध हैं, कितने पेड़ अस्तित्व में हैं, इसका कोई डेटा नहीं है।’’

यह देखते हुए कि जब तक वृक्षों की गणना नहीं की जाती तब तक इस मुद्दे का समाधान नहीं होगा, पीठ ने मामले की सुनवाई के लिए 29 नवंबर की तारीख तय की है।

शीर्ष अदालत पर्यावरण संबंधी चिंताओं और यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल ताजमहल तथा उसके आसपास के क्षेत्रों सहित ऐतिहासिक स्मारकों के संरक्षण से संबंधित एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

भाषा रंजन रंजन सुरेश

सुरेश

 

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