नयी दिल्ली, 14 मार्च (भाषा) ब्रह्मोस मिसाइल को पिछले साल गलती से पाकिस्तान में छोड़े जाने के मामले में बर्खास्त किए गए वायु सेना के पूर्व अधिकारी की याचिका पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को केंद्र से जवाब मांगा।
न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा की पीठ ने पूर्व विंग कमांडर की याचिका पर नोटिस जारी किया और केंद्र को छह सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा। ब्रह्मोस मिसाइल के दुर्घटनावश पाकिस्तान में गिरने के समय याचिकाकर्ता इंजिनियरिंग ऑफिसर के तौर पर पदस्थ था।
याचिकाकर्ता ने दावा किया कि अगस्त 2022 में उसकी सेवा समाप्त करने का रक्षा मंत्रालय का फैसला ‘‘पूरी तरह से दुर्भावनापूर्ण, भेदभावपूर्ण, अवैध और अन्यायपूर्ण’’ है, क्योंकि उसने ‘‘एसओपी (मानक संचालन प्रक्रिया) का पूरी तरह पालन’’ करते हुए काम किया था।
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने इस याचिका का विरोध किया और कहा कि सेवा समाप्ति को मौजूदा कार्यवाही में चुनौती नहीं दी जा सकती।
बर्खास्त अधिकारी ने अपनी याचिका में कहा कि उसे उन कार्यों के लिए प्रशिक्षित किया गया था, जो पूरी तरह से ‘‘रखरखाव की प्रकृति’’ के थे। उसने कहा कि ‘‘कोर्ट ऑफ इंक्वायरी के दौरान उस पर जिन कार्यों को लेकर आरोप लगाए गए, उसे उनके लिए प्रशिक्षित नहीं किया गया था।’’
केंद्र सरकार ने नौ मार्च, 2022 को कहा था कि एक ब्रह्मोस मिसाइल गलती से पाकिस्तान में जा गिरी और यह ‘‘अत्यंत खेदजनक’’ घटना तकनीकी गड़बड़ी के कारण हुई। पाकिस्तान ने इस घटना को लेकर भारत के समक्ष अपना विरोध दर्ज कराया था।
भाषा सिम्मी दिलीप
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