उच्चतम न्यायालय ने वकीलों के वरिष्ठ पद तय करने से जुड़े मुद्दे पर फैसला सुरक्षित रखा

उच्चतम न्यायालय ने वकीलों के वरिष्ठ पद तय करने से जुड़े मुद्दे पर फैसला सुरक्षित रखा

उच्चतम न्यायालय ने वकीलों के वरिष्ठ पद तय करने से जुड़े मुद्दे पर फैसला सुरक्षित रखा
Modified Date: January 31, 2025 / 08:37 pm IST
Published Date: January 31, 2025 8:37 pm IST

नयी दिल्ली, 31 जनवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने वकीलों के वरिष्ठ पद तय करने जुड़े मुद्दे और न्यायिक प्रणाली के कामकाज में सुगमता के लिए ‘एडवोकेट्स ऑन रिकॉर्ड’ (एओआर) की आचार संहिता तैयार करने पर अपना फैसला शुक्रवार को सुरक्षित रख लिया।

न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि दो न्यायाधीशों की पीठ 2017 के फैसले से उपजे मुद्दों का निस्तारण नहीं कर सकती, जिसमें वकीलों को वरिष्ठ पद देने की प्रक्रिया तैयार की गई थी और जिसे तीन न्यायाधीशों की पीठ ने सुनाया था।

पीठ ने कहा, ‘‘हम वरिष्ठ पद पर न्याय मित्र (एस मुरलीधर), सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह (जिन्होंने शुरू में शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी) के सुझावों को दर्ज करेंगे और निर्णय लेने के लिए इसे प्रधान न्यायाधीश के समक्ष रखेंगे…।’’

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तीन पूर्व न्यायाधीशों, न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन और न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा की एक पूर्ववर्ती पीठ ने 12 अक्टूबर 2017 को जयसिंह की याचिका पर अपना फैसला सुनाया था।

उस फैसले में उन्होंने वकीलों को वरिष्ठ पद देने के लिए प्रधान न्यायाधीश(सीजेआई) की अध्यक्षता में एक स्थायी समिति गठित करने सहित कई दिशानिर्देश जारी किए थे।

इसमें कहा गया था कि सीजेआई के अलावा, समिति में उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायाधीश या उच्च न्यायालय के न्यायाधीश, जैसा भी मामला हो, शामिल होंगे।

हालांकि, वरिष्ठ पद के लिए साक्षात्कार आयोजित करने और साक्षात्कार के लिए 25 अंक दिए जाने जैसे कुछ निर्देशों पर जोरदार बहस हुई।

सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल ने वरिष्ठ अधिवक्ता पद से जुड़ी प्रक्रिया की समीक्षा का सुझाव दिया, जिसमें उम्मीदवारों की सत्यनिष्ठा के आकलन के बारे में चिंता जताई गई।

चयन प्रक्रिया में साक्षात्कार को दिए जाने वाले महत्व के बारे में चिंता जताई गई, जिसमें संभावित हेरफेर और समान अवसर उपलब्ध न हो पाने की आशंका है।

न्यायमूर्ति ओका ने कहा, ‘‘आखिरकार उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि किसी भी अयोग्य व्यक्ति को वरिष्ठ वकील के रूप में नामित न किया जाए और जो इसके योग्य है उसे इससे वंचित न किया जाए। हम अपने आदेश में केवल उन मुद्दों को ही रेखांकित करने जा रहे हैं।’’

एओआर की आचार संहिता पर पीठ ने स्पष्ट दिशानिर्देशों की आवश्यकता पर जोर दिया और इस धारणा को खारिज कर दिया कि एओआर को केवल डाकिया के रूप में काम करना चाहिए।

शीर्ष अदालत वकीलों के लिए एओआर परीक्षा आयोजित करती है और केवल एओआर को ही न्यायालय में याचिकाएं दायर करने का अधिकार है।

भाषा सुभाष संतोष

संतोष


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