न्यायालय ने जमानत के लिए केजरीवाल को निचली अदालत भेजने की सीबीआई की दलील खारिज की

न्यायालय ने जमानत के लिए केजरीवाल को निचली अदालत भेजने की सीबीआई की दलील खारिज की

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  • Publish Date - September 13, 2024 / 06:27 PM IST,
    Updated On - September 13, 2024 / 06:27 PM IST

नयी दिल्ली, 13 सितंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की इस दलील को खारिज कर दिया कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को आबकारी नीति ‘घोटाले’ के सिलसिले में एजेंसी द्वारा दर्ज भ्रष्टाचार के मामले में जमानत की उनकी अर्जी के साथ निचली अदालत में भेजा जाना चाहिए।

शीर्ष अदालत ने कहा कि आम तौर पर आरोपपत्र दाखिल होने के बाद निचली अदालत को जमानत के अनुरोध पर विचार करना चाहिए, क्योंकि जांच अधिकारी जो सामग्री हासिल कर सकता है, उससे निस्संदेह अदालत को अपराध की गंभीरता और आरोपी की संलिप्तता के बारे में प्रथम दृष्टया राय बनाने में मदद मिलेगी।

हालांकि, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्जवल भुइयां की पीठ ने कहा कि ऐसा कोई तय फार्मूला नहीं हो सकता जो यह निर्धारित करे कि जमानत पर विचार करने से संबंधित प्रत्येक मामला आरोपपत्र दाखिल करने पर निर्भर होना चाहिए।

उसने कहा कि प्रत्येक मामले में आकलन उसके गुण-दोषों के आधार पर किया जाना चाहिए।

शीर्ष अदालत ने कहा कि विचाराधीन कैदी को सामान्यतः जमानत के लिए पहले निचली अदालत में जाना चाहिए, क्योंकि यह प्रक्रिया न केवल आरोपी को प्रारंभिक राहत का अवसर प्रदान करती है, बल्कि निचली अदालत द्वारा अपर्याप्त कारणों से जमानत देने से इनकार करने की स्थिति में उच्च न्यायालय को एक द्वितीयक मार्ग के रूप में कार्य करने की अनुमति भी प्रदान करती है।

न्यायमूर्ति कांत ने 27 पन्नों के अपने फैसले में कहा, ‘‘हालांकि, उच्च न्यायालयों को शुरू से ही इस प्रक्रियात्मक उपाय का पालन करना चाहिए। यदि कोई अभियुक्त निचली अदालत से राहत मांगे बिना सीधे उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाता है, तो उच्च न्यायालय के लिए आम तौर पर उन्हें प्रारंभिक चरण में ही निचली अदालत में भेज देना उचित होता है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘फिर भी, यदि नोटिस के बाद काफी देरी होती है, तो बाद के चरण में मामले को निचली अदालत में भेजना समझदारी नहीं होगी। जमानत व्यक्तिगत स्वतंत्रता से करीब से जुड़ी हुई है, इसलिए ऐसे दावों पर उनके गुण-दोष के आधार पर तुरंत निर्णय लिया जाना चाहिए, न कि केवल प्रक्रियागत तकनीकी आधार पर इसे अदालतों के बीच झूलना चाहिए।’’

सीबीआई की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने तर्क दिया था कि केजरीवाल को निचली अदालत में भेजा जाना चाहिए, क्योंकि उन्होंने जमानत के लिए सीधे उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।

राजू ने आग्रह किया कि केजरीवाल को केवल उनके पद या उनके राजनीतिक कद के कारण कोई विशेष सुविधा नहीं दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि केजरीवाल के साथ किसी अन्य विचाराधीन कैदी की तरह व्यवहार किया जाना चाहिए, इसलिए उन्हें जमानत के लिए पहले निचली अदालत का दरवाजा खटखटाना चाहिए।

भाषा वैभव नरेश

नरेश