नई दिल्लीः Supreme Court on Reservation भारत में आरक्षण एक ऐसा मामला है, जिसे लेकर सियासत हमेशा गर्म रहती है। इतना ही नहीं इसे लेकर कई लोग तो अदालतों का दरवाजा तक खटखटाते हैं। हालांकि कई मामले अभी भी देश के अलग-अलग अदालतों में पेंडिंग है। आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के बच्चों को मिलने वाले एससी और एसटी आरक्षण का मामला एक बार सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। याचिका में कहा गया है कि आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के बच्चों को एससी और एसटी आरक्षण का लाभ नहीं मिलना चाहिए। हालांकि कोर्ट ने इस पर विचार करने से इनकार कर दिया है। गुरुवार को इस मसले को लेकर सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसे आरक्षण मिलना चाहिए और किसे उसके दायरे से बाहर करना चाहिए। यह तय करना संसद का काम है। अदालत इस बारे में कोई निर्णय नहीं ले सकती। अदालत ने कहा कि यह तो संसद पर है कि वह इस संबंध में कोई कानून लाए।
Supreme Court on Reservation दरअसल, संतोष मालवीय नाम के एक शख्स ने सुप्रीम कोर्ट ने याचिका दायर कर यह मांग की थी कि आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के बच्चों को एससी और एसटी आरक्षण का लाभ नहीं मिलना चाहिए। उन्होंने बीते साल अगस्त की एक सुनवाई का हवाला दिया, जिसमें सुप्रीम कोर्च ने यह राय जाहिर की थी अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के आरक्षण में भी क्रीमी लेयर का प्रावधान होना चाहिए। इसके तहत दलित और आदिवासी वर्ग के ऐसे लोगों के बच्चों को आरक्षण के दायरे से बाहर किया जाएगा, जिनके माता-पिता आईएएस या आईपीएस हों। गुरुवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि ‘हमारी ओर से कोई आदेश जारी नहीं किया गया था। ऐसी राय 7 जजों की बेंच में से एक जस्टिस की थी, जिसे दो अन्य जजों ने समर्थन दिया था। उस मामले में अदालत का एकमत से यह फैसला था कि एससी और एसटी कोटा में उपवर्गीकरण होना चाहिए।’