Supreme Court on Reservation: ‘IAS और IPS के बच्चों को न मिले SC-ST आरक्षण’… याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कह दी ये बात, जानिए पूरा मामला

'IAS और IPS के बच्चों को न मिले SC-ST आरक्षण'... Supreme Court refuses to hear plea for SC-ST reservation for IAS-IPS children

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  • Publish Date - January 9, 2025 / 03:15 PM IST,
    Updated On - January 9, 2025 / 03:15 PM IST

नई दिल्लीः Supreme Court on Reservation भारत में आरक्षण एक ऐसा मामला है, जिसे लेकर सियासत हमेशा गर्म रहती है। इतना ही नहीं इसे लेकर कई लोग तो अदालतों का दरवाजा तक खटखटाते हैं। हालांकि कई मामले अभी भी देश के अलग-अलग अदालतों में पेंडिंग है। आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के बच्चों को मिलने वाले एससी और एसटी आरक्षण का मामला एक बार सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। याचिका में कहा गया है कि आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के बच्चों को एससी और एसटी आरक्षण का लाभ नहीं मिलना चाहिए। हालांकि कोर्ट ने इस पर विचार करने से इनकार कर दिया है। गुरुवार को इस मसले को लेकर सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसे आरक्षण मिलना चाहिए और किसे उसके दायरे से बाहर करना चाहिए। यह तय करना संसद का काम है। अदालत इस बारे में कोई निर्णय नहीं ले सकती। अदालत ने कहा कि यह तो संसद पर है कि वह इस संबंध में कोई कानून लाए।

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Supreme Court on Reservation दरअसल, संतोष मालवीय नाम के एक शख्स ने सुप्रीम कोर्ट ने याचिका दायर कर यह मांग की थी कि आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के बच्चों को एससी और एसटी आरक्षण का लाभ नहीं मिलना चाहिए। उन्होंने बीते साल अगस्त की एक सुनवाई का हवाला दिया, जिसमें सुप्रीम कोर्च ने यह राय जाहिर की थी अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के आरक्षण में भी क्रीमी लेयर का प्रावधान होना चाहिए। इसके तहत दलित और आदिवासी वर्ग के ऐसे लोगों के बच्चों को आरक्षण के दायरे से बाहर किया जाएगा, जिनके माता-पिता आईएएस या आईपीएस हों। गुरुवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि ‘हमारी ओर से कोई आदेश जारी नहीं किया गया था। ऐसी राय 7 जजों की बेंच में से एक जस्टिस की थी, जिसे दो अन्य जजों ने समर्थन दिया था। उस मामले में अदालत का एकमत से यह फैसला था कि एससी और एसटी कोटा में उपवर्गीकरण होना चाहिए।’

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क्या सुप्रीम कोर्ट ने आईएएस और आईपीएस के बच्चों को SC-ST आरक्षण से बाहर करने का आदेश दिया?

नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने इस पर कोई आदेश नहीं दिया। अदालत ने कहा कि आरक्षण से संबंधित निर्णय संसद का अधिकार है, न कि अदालत का।

SC और ST आरक्षण में क्रीमी लेयर का क्या मतलब है?

क्रीमी लेयर का मतलब उन जातियों के ऐसे व्यक्तियों से है जिनके परिवार के सदस्य सरकारी सेवाओं में उच्च पदों पर हैं, जैसे आईएएस और आईपीएस। इन व्यक्तियों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलता।

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरक्षण की नीति और दायरे का निर्धारण संसद का काम है और अदालत इस पर निर्णय नहीं ले सकती।

क्या पिछली सुनवाई में कोई निर्णय लिया गया था?

नहीं, पिछली सुनवाई में एक जज ने अपनी राय दी थी, जिसे दो अन्य जजों ने समर्थन किया, लेकिन यह एकमत से निर्णय नहीं था।

क्या संसद आरक्षण नीति में बदलाव कर सकती है?

हां, संसद के पास आरक्षण नीति में बदलाव करने का अधिकार है।