तबलीगी जमात के मीडिया कवरेज रोकने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा- प्रेस का गला नहीं दबाएंगे

तबलीगी जमात के मीडिया कवरेज रोकने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा- प्रेस का गला नहीं दबाएंगे

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  • Publish Date - April 13, 2020 / 06:01 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:18 PM IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को तबलीगी जमात के मीडिया कवरेज को लेकर दायर एक अहम याचिका पर सनवाई की। मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने अंतरिम फैसला देने से इनकार कर दिया। साथ ही यह भी कहा कि कोर्ट मीडिया का गला नहीं घोट सकती। मामले में सुनवाई प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति एम एम शांतनगौडर की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिग के जरिए की।

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दरसअल मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिन्द ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर करते हुए अपील की थी कि तबलीगी जमात के कार्यक्रम में हुई एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना के लिए पूरे मुस्लिम समुदाय को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। इन दिनों सोशल मीडिया में कई तरह के वीडियो और फेक न्यूज शेयर की जा रही हैं। जिनसे मुस्लिमों की छवि खराब हो रही है। इनसे तनाव बढ़ सकता है, जो साम्प्रदायिक सौहार्द्र और मुस्लिमों की जान पर खतरा है। साथ ही यह संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन भी है। कोरोना वायरस महामारी फैलने को हालिया निजामुद्दीन मरकज की घटना से जोड़कर कथित रूप से सांप्रदायिक नफरत और धर्मान्धता फैलाने से मीडिया को रोका जाए।

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मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि ऐसे हालत में इस मामले में अभी सुनवाई नहीं की जा सकती है। 3 सदस्यी पीठ ने इस मामले को उसने यह मामला दो सप्ताह बाद सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया। साथ ही कहा है कि वह प्रेस का गला नहीं दबा सकता।

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बता दें कोरोना वायरस के संक्रमण को तेजी से फैलने से रोकने के लिए तबलीगी जमात और उनके संपर्क में आए 25 हजार लोगों को पूरे देश में क्वारंटाइन किया गया है। तबलीगी जमात के कुल 2,083 विदेशी सदस्यों में से 1,750 सदस्यों को अभी तक ब्लैक लिस्ट में डाला जा चुका है।

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