नई दिल्ली : Supreme Court On Punjab Government : किसानों ने सुप्रीम कोर्ट में पराली नष्ट करने के लिए मशीनों की कमी की शिकायत करते हुए याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने इन याचिकाओं को सुनने से इनकार कर दिया है। जस्टिस अभय ओका की अध्यक्षता वाली बेंच ने किसानों की मांग को नकारते हुए कहा कि सब कुछ सरकार के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता और न ही पराली जलाने की समस्या को जारी रखने का बहाना बनाया जा सकता है।
कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं के वकील से सख्त लहजे में कहा, “हम जानते हैं कि आप यहां क्यों आए हैं। जैसे ही पराली जलाने पर सख्ती का आदेश दिया गया, यह याचिका दाखिल कर दी गई।” कोर्ट ने आगे कहा कि पंजाब और हरियाणा सरकारें अब तक पराली जलाने वालों पर ठोस कार्रवाई करने में असफल रही हैं, जो कि चिंता का विषय है।
Supreme Court On Punjab Government : सुप्रीम कोर्ट ने दोनों राज्यों से कहा कि प्रदूषण रोकने के लिए CAQM एक्ट की धारा 14 और EPA एक्ट की धारा 15 के तहत प्रदूषण फैलाने वालों पर कार्रवाई का प्रावधान है। लेकिन राज्य सरकारें इस पर प्रभावी कदम नहीं उठा रही हैं, जो अस्वीकार्य है। कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा सरकारों को तीन सप्ताह में सुधारात्मक हलफनामा पेश करने का निर्देश दिया और कहा कि मामले की अगली सुनवाई 16 दिसंबर को की जाएगी।
Supreme Court On Punjab Government : जस्टिस ओका और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की बेंच ने पंजाब के एडवोकेट जनरल को कड़ी फटकार लगाई। उन्होंने कहा, “आपने सिर्फ 56 अधिकारियों पर कार्रवाई की बात कही है। इसका मतलब बाकी अधिकारी बच जाएंगे? ऐसा नहीं चलेगा।” पंजाब सरकार की तरफ से बताया गया कि पराली जलाने पर रोकथाम में नाकाम रहे 1037 अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस भेजे गए हैं, लेकिन कोर्ट इस जवाब से संतुष्ट नजर नहीं आया। केंद्र सरकार ने बताया कि पराली जलाने पर जुर्माने की राशि बढ़ा दी गई है, जिस पर कोर्ट ने कहा कि जुर्माने का असर तभी दिखेगा जब राज्य इसे सख्ती से लागू करेंगे।
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