नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को बदलते हुए गुरुवार को डीजे संचालकों को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने शादी समारोह में डीजे बजाने पर लगे प्रतिबंध को हटाने आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से शादी या अन्य समारोहों में डिस्क जॉकी (डीजे) चलाकर आजीविका कमाने वाले पेशेवरों को बड़ी राहत मिलेगी।
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इससे पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट ने डीजे पर प्रतिबंध लगाने का फैसला सुनाते हुए तेज आवाज के चलते ध्वनी प्रदुषण का हवाला दिया था। कोर्ट का कहना था कि डीजे से तेज आवाज निकलती है, जिससे लोगों के स्वास्थ्य पर गहरा असर होता है, खासकर बच्चों के स्वास्थ्य पर। कोर्ट ने यह भी कहा था कि कम से कम आवाज में भी बजाए जाने पर डीजे की आवाज नियम के तहत तय स्वीकृत डेसीबल रेंज से अधिक होती है।
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हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ डीजे संचालकों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। याचिकाकर्ताओं ने कहा था कि शादी सहित अन्य विशेष समारोहों में डीजे सेवा मुहैया कराने के व्यवसाय से जुड़े हुए हैं। यह व्यवसाय उनके रोजी-रोटी का एक मात्र साधन है। उन्होंने हाईकोर्ट के आदेश को संविधान के अनुच्छेद-16 का उल्लंघन बताते हुए इसके चलते अपने बेरोजगार हो जाने की दुहाई दी।
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याचिका पर दोनों पक्षों की दलील सुनते हुए सुप्रीम कोर्ट ने डीजे चलाने की इजाजत देने का आदेश दिया। साथ ही मामले की अगली सुनवाई 16 दिसंबर को तय की है। बता दें कि मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट की एक पीठ ने 14 अक्टूबर को इस मामले में सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के इस आदेश पर रोक लगा दी थी। साथ ही राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। हालांकि पीठ ने साफ किया था कि यह आदेश सिर्फ इन याचिकाकर्ताओं तक ही सीमित है।
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