Contract Employees Regularization: संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई मुहर! सभी होंगे पर्मानेंट, होली से पहले एक साथ मिली जिंदगी भर की खुशी | Supreme Court Order for Regularization Contract Employees

Contract Employees Regularization: संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई मुहर! सभी होंगे पर्मानेंट, होली से पहले एक साथ मिली जिंदगी भर की खुशी

Contract Employees Regularization: संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई मुहर, सभी होंगे पर्मानेंट, एक साथ मिली जिंदगी भर की खुशी

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Modified Date: March 19, 2024 / 11:27 PM IST
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Published Date: March 19, 2024 4:30 pm IST

नई दिल्ली: Contract Employees Regularization संविदा-अनियमित कर्मचारियों का नियमितीकरण अब राजनीतिक दलों के लिए चुनावी मुद्दा बन चुका है। जहां भी चुनाव हो राजनीतिक दल की ओर से नियमितीकरण का वादा प्राथमिक तौर पर रहता है। लेकिन अब तक पूरी तरह से संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण को लेकर फैसला नहीं लिया गया है। हालांकि कुछ राज्य ऐसे हैं जिन्होंने अपने अधिनस्त कर्मचारियों के नियमितीकरण की प्रक्रिया शुरू कर दी है। लेकिन इस बीच देश की सर्वोच्च आदलत ने संविदा और अनियमित कर्मचारियों के नियमितीकरण को लेकर बड़ा फैसला लिया है।

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Contract Employees Regularization दरसअल संविदा कर्मचारियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बारहमासी/स्थायी प्रकृति के काम करने के लिए नियोजित श्रमिकों को अनुबंध श्रम (विनियमन और उन्मूलन) अधिनियम, 1970 के तहत उन्हें सिर्फ स्थायी नौकरी के लाभ से वंचित करने के लिए अनुबंध श्रमिक नहीं माना जा सकता है।

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लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस नरसिम्हा ने अपने आदेश में हाई कोर्ट और इंडस्ट्रियल ट्रिब्यूनल के उस फैसले को बरकरार रखा है, जिसमें रेलवे लाइन के किनारे सफाई करने वाले मजदूरों को संविदा कर्मी से हटाकर स्थायी कर्मी का दर्जा और वेतन-भत्ते का लाभ देने का आदेश दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस तथ्य को रेखांकित किया कि रेलवे लाइन के किनारे गंदगी हटाने का काम ना सिर्फ नियमित है बल्कि बारहमासी और स्थायी प्रकृति का है। कोर्ट ने कहा कि इन कारणों से अनुबंध पर बहाल कर्मचारियों को स्थायी किया जाना चाहिए।

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दरअसल, महानदी कोलफील्ड्स ने इस तरह के 32 कॉन्ट्रक्ट कर्मचारियों में से 19 की नौकरी परमानेंट कर दी थी, जबकि 13 को अनुबंध कर्मी के रूप में ही छोड़ दिया था, जबकि सभी कर्मियों की ड्यूटी एक समान और एक ही प्रकृति की थी। इसके खिलाफ यूनियन ने केंद्र सरकार और महानदी कोलफील्ड्स को ज्ञापन सौंपा लेकिन जब कार्रवाई नहीं हुई तो इंडस्ट्रियल ट्रबियूनल में मामला पहुंचा, जहां ट्रिब्यूनल ने सभी 13 अनुबंध कर्मियों को नियमित करने का आदेश दिया। बाद में उसी फैसले को हाई कोर्ट ने भी बरकरार रखा, जिसके खिलाफ महानदी कोलफील्ड्स ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था लेकिन वहां से भी उसे निराशा हाथ लगी है।

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