Supreme Court on treatment rates of private hospitals : नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने प्राइवेट अस्पतालों के इलाज रेट पर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को प्राइवेट अस्पतालों के जरिए वसूले जाने वाले मनमानी पैसों को लेकर नाराजगी व्यक्त की है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इस असमानता पर चिंता व्यक्त की और केंद्र सरकार को 14 साल पुराने कानून को लागू करने में नाकाम रहने के लिए फटकार लगाई। यह कानून है क्लिनिकल स्थापना नियम (केंद्र सरकार)। इस कानून के अनुसार, राज्यों के साथ विचार-विमर्श करके महानगरों, शहरों और कस्बों में इलाज और बीमारियों के इलाज के लिए एक मानक दर तय की जानी चाहिए थी।
जानकारी अनुसार, सुनवाई के दौरान सरकार ने अदालत को बताया कि उसने बार-बार राज्यों को इस मुद्दे पर लिखा है, लेकिन उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं आया है। अदालत ने कहा कि नागरिकों को स्वास्थ्य सेवा का मौलिक अधिकार है और केंद्र अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकता है। अदालत ने केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव को कहा कि वह एक महीने के भीतर स्टैंडर्ड रेट के नोटिफिकेशन जारी करने के लिए राज्यों के स्वास्थ्य सचिवों के साथ बैठक करें।
सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उन्होंने इस बारे में राज्यों को कई बार चिट्ठी लिखी, लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं मिला। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नागरिकों को स्वास्थ्य सेवा का मौलिक अधिकार है और केंद्र सरकार इस आधार पर अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकती। अदालत ने केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव को एक महीने के अंदर मानक दर अधिसूचित करने के लिए राज्यें के अधिकारियों संग बैठक बुलाने को कहा। सुप्रीम कोर्ट ने साफ-साफ कहा कि अगर केंद्र सरकार इस मामले का हल खोजने में विफल रहती है, तो हम याचिकाकर्ता की सीजीएचएस- निर्धारित मानक दरों को लागू करने की याचिका पर विचार करेंगे।