नयी दिल्ली, 23 सितंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने कोविड-19 से मरने वाले लोगों के परिजन को अनुग्रह राशि देने के केंद्र के कदम की बृहस्पतिवार को सराहना करते हुए कहा कि इस तथ्य का न्यायिक संज्ञान लेना होगा कि भारत ने जो किया है, वह कोई अन्य देश नहीं कर सका है।
शीर्ष अदालत ने कहा, ‘‘हम खुश हैं कि कई परिवारों के आंसू पोंछने के लिए कुछ किया गया है।
केंद्र की ओर से सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, ‘‘हम जीवन को पहुंची क्षति की भरपाई नहीं कर सकते लेकिन पीड़ित परिवारों के लिए देश जो कुछ कर सकता है, किया जा रहा है।’’
न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ ने केंद्र द्वारा दाखिल दो हलफनामों पर गौर करते हुए कहा कि वह कुछ निर्देशों के साथ चार अक्टूबर को आदेश जारी करेगी। पीठ ने संकेत दिया कि इसमे मृत्यु प्रमाणपत्र जारी करने में किसी तरह का विवाद होने पर जिला स्तर पर शिकायत निवारण समितियों को मृतक का अस्पताल का रिकार्ड मंगाने के लिए अधिकृत किया जा सकता है।
पीठ ने कहा, ‘‘हम खुश हैं कि पीड़ितों को कुछ सांत्वना मिलेगी। यह कई परिवारों के आंसू पोंछेगा। हमें इस तथ्य का अवश्य ही न्यायिक संज्ञान लेना चाहिए कि लोगों की कई सारी समस्याओं के बावजूद कुछ किया जा रहा है। भारत ने जो किया है, कोई अन्य देश नहीं कर सका है। ’’
न्यायालय अधिवक्ता गौरव कुमार बंसल और कोविड-19 के चलते अपने परिवार के सदस्यों को खोने वाले कुछ लोगों की याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है।
मामले की सुनवाई शुरू होने पर शीर्ष अदालत ने कुछ चिंता जताते हुए सवाल किया कि क्या होगा यदि कोविड बाद की समस्याओं के चलते व्यक्ति की जान गई हो और अस्पतालों ने मौत की वजह के तौर पर कोविड-19 का उल्लेख नहीं किया होगा।
मेहता ने कहा कि निकट परिजन जिला स्तरीय समित से संपर्क कर सकते हैं, जिसका गठन राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) दिशानिर्देशों के तहत, मृत्यु प्रमाणपत्र जारी करने को लेकर शिकायतों के निवारण के लिए किया जाना है।
पीठ ने कहा, ‘‘कभी-कभी अस्पताल एक तानाशाह जैसा व्यवहार करते हैं और परिवार के सदस्यों को मेडिकल रिकार्ड्स या मृतक का शव नहीं सौंपते हैं। हमें उन लोगों का भी ध्यान रखना होगा। ’’
मेहता ने कहा कि कोविड-19 से मरने वाले ऐसे लोगों के परिवार के सदस्य समिति से संपर्क कर सकते हैं जो अस्पतालों का रिकार्ड मंगा सकती है।
पीठ ने कहा कि जरूरत पड़ने पर अस्पतालों का रिकार्ड मंगाने के लिए ऐसी समितियों को अधिकृत करने के वास्ते वह आदेश जारी कर सकती है।
मेहता ने कहा कि मृतक के निकट परिजन समिति को आरटी-पीसीआर की जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आने जैसे साक्ष्य समिति को दिखा सकते हैं।
उल्लेखनीय है कि केंद्र ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय को बताया कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) ने कोविड-19 से मरने वाले लोगों को परिजन को 50,000 रुपये की अनुग्रह राशि देने की सिफारिश की है।
केंद्र ने कहा कि कोविड-19 राहत कार्य में शामिल रहने या महामारी से निपटने के लिए तैयारियों से जुड़ी गतिविधियों में शामिल रहने के चलते संक्रमण से जान गंवाने वालों के परिजन को भी अनुग्रह राशि दी जाएगी।
सरकार ने कहा कि एनडीएमए ने न्यायालय के 30 जून के निर्देशों के अनुपालन में 11 सितंबर को दिशानिर्देश जारी किया। न्यायालय ने प्राधिकरण को अनुग्रह राशि सहायता के लिए दिशानिर्देशों की सिफारिश करने के लिए कहा था।
प्राधिकरण के दिशानिर्देशों में कहा गया है कि यह सहायता राशि कोविड-19 की पहली और दूसरी लहर में जान गंवा चुके लोगों तक ही सीमित नहीं रहेगी, बल्कि महामारी की भविष्य में आ सकने वाली लहर में भी और अगली अधिसूचना तक जारी रहेगी।
सरकार ने न्यायालय में कहा था कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) द्वारा जारी दिशानिर्देशों के मुताबिक, कोविड-19 से मौत होने की बात प्रमाणित होने पर अनुग्रह राशि दी जाएगी।
केंद्र ने कहा कि अनुग्रह राशि राज्य आपदा मोचन कोष (एसडीआरएफ) से राज्यों द्वारा मुहैया की जाएगी और जरूरी दस्तावेज सौंपने के 30 दिनों के अंदर सभी दावों का निपटारा किया जाएगा तथा आधार से जुड़े प्रत्यक्ष नकद अंतरण (डीबीटी) प्रक्रिया के जरिए राशि हस्तांतरित की जाएगी।
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