Supreme Court judges were not unanimous on burying body of pastor father

पादरी पिता के अंतिम संस्कार के लिए बेटे ने खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा, जजों ने निकाला ये समाधान, छत्तीसगढ़ से जुड़ा है पूरा मामला

पादरी पिता के शव को दफनाने के लिए एकमत नहीं हुए सुप्रीम कोर्ट के जज! Supreme Court judges were not unanimous on burying body of pastor father

Edited By :  
Modified Date: January 27, 2025 / 03:06 PM IST
,
Published Date: January 27, 2025 12:20 pm IST

नई दिल्ली: Pastor Father सुप्रीम कोर्ट ने उस पादरी को ईसाइयों के लिए निर्दिष्ट स्थान पर दफनाने का निर्देश देते हुए सोमवार को खंडित फैसला सुनाया जिसका शव सात जनवरी से छत्तीसगढ़ के एक शवगृह में रखा है। न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना ने कहा कि धर्मांतरित ईसाई को परिवार की निजी कृषि भूमि पर दफनाया जाना चाहिए लेकिन न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा ने कहा कि शव को छत्तीसगढ़ में गांव से दूर एक निर्दिष्ट स्थान पर दफनाया जाना चाहिए। पीठ ने कहा कि पादरी का शव उसे दफनाने के स्थान को लेकर विवाद के कारण सात जनवरी से शवगृह में रखा है और इसी बात को ध्यान में रखते हुए वह इस मामले को वृहद पीठ को नहीं भेजेगी। उसने निर्देश दिया कि शव को उस निर्दिष्ट स्थान पर दफनाया जाए, जो राज्य के छिंदवाड़ा गांव से 20 किलोमीटर दूर है।

Read More : AAP Manifesto For Delhi Election 2025 : आम आदमी पार्टी ने जारी किया अपना घोषणा पत्र, जनता के लिए की ये बड़ी घोषणाएं 

Pastor Father रमेश बघेल नामक व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा कि वह मामले के विशिष्ट तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए यह आदेश पारित कर रही है और उसने राज्य सरकार को पूरी सुरक्षा मुहैया कराने का निर्देश दिया ताकि कोई अप्रिय घटना न हो। उच्चतम न्यायालय ने 22 जनवरी को कहा था कि उसे पादरी के शव को दफनाने के मामले में सौहार्दपूर्ण समाधान निकलने और पादरी का सम्मानजनक तरीके से अंतिम संस्कार किये जाने की उम्मीद है। न्यायालय ने पादरी के बेटे की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। दरअसल, याचिकाकर्ता ने छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के एक आदेश को चुनौती दी है। उच्च न्यायालय ने रमेश के पादरी पिता के शव को गांव के कब्रिस्तान में ईसाइयों को दफनाने के लिए निर्दिष्ट क्षेत्र में दफनाने के अनुरोध संबंधी उसकी याचिका का निपटारा कर दिया था।इससे पहले, उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि उसे यह देखकर दुख हुआ कि छत्तीसगढ़ के एक गांव में रहने वाले व्यक्ति को अपने पिता के शव को ईसाई रीति-रिवाजों के अनुसार दफनाने के लिए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ा क्योंकि अधिकारी इस मुद्दे को सुलझाने में विफल रहे। याचिकाकर्ता बघेल ने दावा किया था कि छिंदवाड़ा गांव में एक कब्रिस्तान है जिसे ग्राम पंचायत ने शवों को दफनाने और अंतिम संस्कार के लिए मौखिक रूप से आवंटित किया है। कब्रिस्तान में आदिवासियों के दफनाने, हिंदू धर्म के लोगों को दफनाने या उनका दाह संस्कार करने के अलावा ईसाई समुदाय के लोगों के लिए अलग-अलग क्षेत्र निर्धारित किए गए थे।

Read More : Dombivli Child Fell Video: 13वीं मंजिल से गिर रही थी बच्ची, फरिश्ता बनकर आए शख्स ने किया चमत्कार, ऐसे बचाई मासूम की जान, देखें वीडियो 

याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता और उसके परिवार के सदस्य पादरी के पार्थिव शरीर को कब्रिस्तान में ईसाई लोगों के लिए निर्दिष्ट क्षेत्र में दफनाना चाहते थे। इसमें कहा गया है, ‘‘यह बात सुनकर कुछ ग्रामीणों ने इसका कड़ा विरोध किया और याचिकाकर्ता एवं उसके परिवार को इस भूमि पर याचिकाकर्ता के पिता को दफनाने पर गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी। वे याचिकाकर्ता के परिवार को उसके निजी स्वामित्व वाली भूमि पर शव को दफनाने की भी अनुमति नहीं दे रहे हैं।’’ बघेल के अनुसार, ग्रामीणों का कहना है कि उनके गांव में किसी ईसाई को दफनाया नहीं जा सकता, चाहे वह गांव का कब्रिस्तान हो या निजी जमीन। उन्होंने कहा, ‘‘जब गांव वाले हिंसक हो गए, तो याचिकाकर्ता के परिवार ने पुलिस को सूचना दी, जिसके बाद 30-35 पुलिसकर्मी गांव पहुंचे। पुलिस ने परिवार पर शव को गांव से बाहर ले जाने का दबाव भी बनाया।’’

Follow Us

Follow us on your favorite platform:

सुप्रीम कोर्ट ने पादरी के शव को दफनाने के लिए क्या आदेश दिया?

सुप्रीम कोर्ट ने पादरी के शव को छत्तीसगढ़ के छिंदवाड़ा गांव से 20 किलोमीटर दूर एक निर्दिष्ट स्थान पर दफनाने का आदेश दिया।

इस मामले में दो न्यायमूर्तियों के बीच क्या मतभेद था?

न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना ने पादरी के शव को परिवार की निजी कृषि भूमि पर दफनाने की बात की, जबकि न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा ने शव को गांव से दूर एक निर्दिष्ट स्थान पर दफनाने की बात की।

क्या इस मामले में सुरक्षा की व्यवस्था की गई है?

हां, सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह शव दफनाने की प्रक्रिया के दौरान पूरी सुरक्षा सुनिश्चित करे ताकि कोई अप्रिय घटना न हो।

याचिकाकर्ता ने क्यों सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था?

याचिकाकर्ता ने गांव के कब्रिस्तान में पादरी के शव को दफनाने के लिए ईसाई समुदाय के लिए निर्दिष्ट क्षेत्र में शव दफनाने की अनुमति न मिलने पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।

क्या याचिकाकर्ता को अपने पिता का शव दफनाने में किसी प्रकार की हिंसा का सामना करना पड़ा?

हां, गांव के कुछ लोगों ने शव को दफनाने के खिलाफ विरोध किया और परिवार को धमकी दी। इसके बाद पुलिस को सूचित किया गया और पुलिस बल की मौजूदगी में शव दफनाने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया गया।
 
Flowers