नई दिल्ली: अयोध्या मामले को लेकर पूरे देश की जनता सुप्रीम कोर्ट की ओर टकटकी लगाए देख रही है। मामले में सीजेआई रंजन गोगोई सुनवाई कर रहे हैं। लेकिन गौर करने वाली बात यह है कि रंजन गोगोई 17 नवंबर को रिटायर हो जाएंगे। इस लिहाज से उम्मीद की जा रही है कि राम मंदिर पर फैसला 17 नवंबर तक आ सकता है। सुप्रीम कोर्ट में अभी भी 4 ऐसे मामले लंबित हैं, जिनकी सुनवाई जस्टिस रंजन गोगोई कर रहे हैं। ऐसे में कहा जा सकता है कि इन चारों मामलों में 17 नवंबर तक फैसला आ सकता है। वहीं, राम मंदिर मामले की बात करें तो जस्टिस गोगोई पहले ही कह चुके हैं सुनवाई तय समय पर हुई तो नवंबर तक फैसला आ जाएगा।
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अयोध्या मामला
100 साल अधिक पुराने राम मंदिर मामले में सुप्रीम कोर्ट ने रोजाना सुनवाई करते हुए 40 दिन में सभी पक्षों की दलील सुनी। इसके बाद कोर्ट ने फैसला अपने पक्ष में सुरक्षित रख लिया है। ज्ञात हो कि अयोध्या मामले में विवादित भूमि पर तीन पक्षकारों ने अपना दावा पेश किया है। उम्मीद की जा रही है कि रंजन गोगोई अपने रिटायरमेंट से पहले राम मंदिर मामले में फैसला सुना सकते हैं।
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सबरीमाला मंदिर विवाद
केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने साल 2018 में बड़ा फैसला सुनाया था। सुप्रीम कोर्ट के जजों ने 4-1 के बहुमत से मंदिर में महिलाओं के प्रवेश की अनुमति दिए जाने का फैसला सुनाया था। फैसले को लेकर केरल सहित कई राज्यों में विवाद की स्थिति भी बनी। इसके बाद करीब 54 पुनर्विचार याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया गया। इस मामले पर भी 17 नवंबर तक फैसला आ सकता है। अब देखना यह होगा कि सुप्रीम कोर्ट अपने पुराने फैसले को बरकरार रखती है या कोई नया फैसला सुनाती है।
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राफेल विमान विवाद
मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान हुए राफेल डील को लेकर भी मामला सुप्रीम कोर्ट में लबित है। इस मामले में सीजेआई गोगोई सुनवाई कर रहे हैं। मामले में एक बार लोकसभा चुनाव के दौरान 14 दिसंबर, 2018 कोर्ट ने सुनवाई करते हुए मोदी सरकार को क्लीनचीट दे दिया था, लेकिन फैसले से नाराज कुछ लोगों ने कोर्ट के समक्ष पुनर्विचार याचिकाएं प्रस्तुत की थी। 10 मई, 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने इन याचिकाओं पर अपना फ़ैसला सुरक्षित रख लिया था।
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दरअसल राफेल विमान मामले में 14 दिसंबर के फैसले पर चार याचिकाएं दाखिल की गई हैं। पहली संशोधन याचिका केंद्र सरकार द्वारा दाखिल की गई, जिसमें कहा गया है कि कोर्ट के फैसले में सीएजी रिपोर्ट संसद के सामने रखी गई की टिप्पणी को ठीक करें। केंद्र का कहना है कि कोर्ट ने सरकारी नोट की गलत व्याख्या की है। प्रशांत भूषण, यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी ने पुनर्विचार याचिका में अदालत से राफेल मामले पर आदेश की समीक्षा करने के लिए कहा है जिसमें कहा गया कि सरकार ने राफेल जेट का अधिग्रहण करने के लिए निर्णय लेने की सही प्रक्रिया का पालन किया है। प्रशांत भूषण की चौथी याचिका में सरकार द्वारा दिए गए नोट में अदालत को गुमराह करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई चाही गई है। इसमें लिखा गया है कि सीएजी ने राफेल पर संसद को अपनी रिपोर्ट सौंपी। इस पर फैसला भी 17 नवंबर से पहले आ सकता है।
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आरटीआई के दायरे में प्रधान न्यायाधीश
सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश सूचना के अधिकार के दायरे में आते हैं या नहीं? इस मामले को लेकर भी फैसला 17 नवंबर तक आ सकता है। मामले में सुनवाई जस्टिस रंजन गोगोई की बेंच में सुनवाई हो रही है। इस बेंच में जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई वाली जिसमें जस्टिस एनवी रामन्ना, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस संजीव खन्ना भी शामिल हैं।
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