नयी दिल्ली, 19 नवंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने गुजरात के भुज जिले में लगभग 150 एकड़ भूमि के आवंटन में कथित अनियमितताओं से संबंधित मामले में भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के पूर्व अधिकारी प्रदीप एन. शर्मा को सोमवार को गिरफ्तारी से संरक्षण प्रदान किया है।
शर्मा को मिली यह राहत ज्यादा लाभकारी नहीं होगी, क्योंकि वह उन पर दर्ज कई मामलों के संबंध में पिछले चार साल से हिरासत में हैं।
शीर्ष न्यायालय ने शर्मा की एक याचिका का निस्तारण करते हुए गुजरात उच्च न्यायालय के एक मार्च, 2019 के आदेश में दखल से भी इंकार किया जिसमें 2012 में दर्ज मामले को रद्द करने की अनिच्छा जताई थी।
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति पीबी वराले की पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय द्वारा 2012 में पारित अंतरिम आदेशों के कारण शर्मा को मामले में गिरफ्तार नहीं किया गया है और इसके बाद शीर्ष अदालत ने 22 अप्रैल, 2019 को राहत बढ़ा दी थी।
पीठ ने शर्मा को मामले की जांच में सहयोग करने का निर्देश दिया और मामले की जांच कर रही राज्य की सीआईडी को उनकी हिरासत की आवश्यकता पड़ने पर मजिस्ट्रेट अदालत का रुख करने की स्वतंत्रता दी है।
गुजरात सरकार की ओर से पेश हुए ‘सॉलिसिटर जनरल’ तुषार मेहता ने राहत देने का विरोध किया और कहा कि यह आरोपी के लिए अंतरिम अग्रिम जमानत की तरह है, जिनसे हिरासत में पूछताछ आवश्यक है।
पीठ ने कहा कि यदि हिरासत में पूछताछ की जरूरत पड़ती है तो जांच एजेंसी को मजिस्ट्रेट अदालत का रुख करने की स्वतंत्रता होगी।
भाषा यासिर पवनेश
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