Supreme Court On Child Pornography: चाइल्ड पोर्न देखना और डाउनलोड करना अपराध, सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला

Supreme Court On Child Pornography: चाइल्ड पोर्न देखना और डाउनलोड करना अपराध, सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला

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  • Publish Date - September 23, 2024 / 04:53 PM IST,
    Updated On - September 23, 2024 / 04:58 PM IST

नई दिल्ली। Supreme Court On Child Pornography: चाइल्ड पोर्नोग्राफी देखना और डाउनलोड करना, दोनों पॉक्सो अधिनियम के तहत अपराध की श्रेणी में आएंगे। यह फैसला सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को मद्रास उच्च न्यायालय के उस फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनाया, जिसमें कहा गया था कि निजी तौर पर चाइल्ड पोर्नोग्राफी देखना या उसे डाउनलोड करना पॉक्सो अधिनियम के दायरे में नहीं आता है।  मद्रास हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को “चाइल्ड पोर्नोग्राफी” शब्द को “बाल यौन शोषण और दुर्व्यवहार सामग्री” से बदलने का सुझाव भी दिया है।

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बता दें कि इस वर्ष मार्च महीने में, मुख्य न्यायाधीश डी.वाई.चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने मद्रास उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि बाल पोर्नोग्राफी डाउनलोड करना और उसे अपने पास रखना कोई अपराध नहीं है। मद्रास उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में चेन्नई के 28 वर्षीय व्यक्ति को दोष मुक्त करते हुए कहा था कि निजी तौर पर बाल पोर्नोग्राफी देखना यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के दायरे में नहीं आता है।

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Supreme Court On Child Pornography: मामले में न्यायमूर्ति एन. आनंद वेंकटेश की पीठ ने तर्क दिया कि अभियुक्त ने केवल सामग्री डाउनलोड की थी और निजी तौर पर पोर्नोग्राफी देखी थी और इसे न तो प्रकाशित किया गया था और न ही दूसरों के लिए प्रसारित किया गया था। “चूंकि उसने पोर्नोग्राफिक उद्देश्यों के लिए किसी बच्चे या बच्चों का इस्तेमाल नहीं किया है, इसलिए इसे अभियुक्त के नैतिक पतन के रूप में ही समझा जा सकता है।  चेन्नई पुलिस ने आरोपी का फोन जब्त कर पाया कि उसने चाइल्ड पोर्न वीडियो डाउनलोड कर अपने पास रखी थी। इसके बाद सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 67 बी और पॉक्सो अधिनियम की धारा 14(1) के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की थी। भारत में, पॉक्सो अधिनियम 2012 और आईटी अधिनियम 2000, अन्य कानूनों के तहत, बाल पोर्नोग्राफी के निर्माण, वितरण और कब्जे को अपराध घोषित किया गया है।