गोधरा कांड के बाद भड़के दंगे के मामले में छह लोग बरी, सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला

Supreme Court acquits six persons: अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया कि 28 फरवरी, 2002 को गांव में दंगा हुआ था, जिसके परिणामस्वरूप सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचा और पुलिस वाहनों में तोड़फोड़ की गई।

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  • Publish Date - March 21, 2025 / 10:39 PM IST,
    Updated On - March 21, 2025 / 11:34 PM IST
Supreme Court acquits six persons, image source: ibc24

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HIGHLIGHTS
  • गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के एक मामले में सुनवाई
  • 28 फरवरी, 2002 को गांव में दंगा हुआ
  • सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचा और पुलिस वाहनों में तोड़फोड़

नयी दिल्ली:  Supreme Court acquits six persons, उच्चतम न्यायालय ने गुजरात में गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के एक मामले में शुक्रवार को छह लोगों को बरी कर दिया और कहा कि सामूहिक झड़पों के मामलों में यह सुनिश्चित करना अदालतों का कर्तव्य है कि किसी भी प्रत्यक्षदर्शी को दोषी नहीं ठहराया जाए।

न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि दंगों के ऐसे मामलों में, जिनमें बड़ी संख्या में लोग शामिल हों, अदालतों को उन गवाहों की गवाही पर भरोसा करने में ‘‘सावधानी’’ बरतनी चाहिए, जिन्होंने आरोपियों या उनकी भूमिकाओं का विशेष संदर्भ दिए बिना सामान्य बयान दिए हों।

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शीर्ष अदालत ने गुजरात उच्च न्यायालय के उस आदेश को खारिज कर दिया, जिसमें निचली अदालत के फैसले को पलट दिया गया था और राज्य के वडोद गांव में हुए दंगे के मामले में छह लोगों को दोषी ठहराया गया था, जबकि 12 अन्य को बरी कर दिया गया था।

अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया कि 28 फरवरी, 2002 को गांव में दंगा हुआ था, जिसके परिणामस्वरूप सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचा और पुलिस वाहनों में तोड़फोड़ की गई।

पीठ ने कहा, ‘‘समूह संघर्ष के मामलों में जहां बड़ी संख्या में लोग शामिल होते हैं, अदालतों पर यह सुनिश्चित करने का भारी कर्तव्य होता है कि किसी भी निर्दोष व्यक्ति को दोषी न ठहराया जाए और उसकी स्वतंत्रता से वंचित न किया जाए।’’

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उच्चतम न्यायालय ने इस मामले में क्या फैसला दिया?

न्यायालय ने छह आरोपियों को बरी कर दिया और कहा कि सामूहिक झड़पों के मामलों में अदालतों को गवाहों की गवाही पर सावधानी से विचार करना चाहिए।

इस फैसले का आधार क्या था?

शीर्ष अदालत ने कहा कि जब बड़ी संख्या में लोग शामिल होते हैं, तो यह सुनिश्चित करना अदालतों का कर्तव्य होता है कि निर्दोष लोगों को गलत तरीके से दोषी न ठहराया जाए।

गुजरात उच्च न्यायालय के आदेश को क्यों खारिज किया गया?

उच्चतम न्यायालय ने माना कि निचली अदालत का फैसला अधिक उपयुक्त था और गुजरात उच्च न्यायालय ने इसे गलत तरीके से पलट दिया था।

इस मामले में अभियोजन पक्ष के आरोप क्या थे?

अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया कि 28 फरवरी 2002 को वडोद गांव में दंगा हुआ, जिससे सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचा और पुलिस वाहनों में तोड़फोड़ की गई।