नयी दिल्ली, 30 जनवरी (भाषा): उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को केरल में हत्या के एक मामले में 12 साल से अधिक समय तक जेल में बंद एक व्यक्ति को बरी कर दिया।
न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और उज्जल भुइयां की पीठ ने दो प्रत्यक्षदर्शी गवाहों के बयान पर संदेह जताते हुए कहा कि आरोपी के खिलाफ अपराध साबित नहीं हुआ।
शीर्ष अदालत ने यह फैसला विनोभाई की उस अपील पर सुनाया, जिसमें उन्होंने केरल उच्च न्यायालय के सितंबर 2016 के उस फैसले को चुनौती दी थी। फैसले में व्यक्ति की दोषसिद्धि और उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा गया था।
न्यायालय ने कहा, ‘अभियुक्त 12 साल से अधिक समय तक जेल में रहा है। यदि किसी अन्य मामले में उसकी आवश्यकता नहीं है तो उसे तुरंत रिहा किया जाए।’
विनोभाई को निचली अदालत ने हत्या का दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। उन पर 31 दिसंबर 2010 को रामकृष्णन की चाकू से प्रहार कर हत्या करने का आरोप था।
अभियोजन पक्ष ने दावा किया था कि विनोभाई और रामकृष्णन के बीच पुरानी दुश्मनी थी। मृतक कथित रूप से विनोभाई के बड़े भाई की हत्या में शामिल था।
पीठ ने दो गवाहों के बयान पर संदेह जताते हुए कहा कि ‘दोनों प्रत्यक्षदर्शियों का यह बयान विरोधाभासी है।’
न्यायालय ने यह भी कहा कि दोनों गवाहों ने घटना के तुरंत बाद पुलिस को सूचना नहीं दी थी।
शीर्ष अदालत ने यह भी उल्लेख किया कि एक गवाह ने रामकृष्णन को माकपा समर्थक बताया था, जबकि विनोभाई भाजपा कार्यकर्ता था।
शीर्ष अदालत ने उच्च अदालत के सितंबर 2016 के फैसले और निचली अदालत के अक्टूबर 2012 के आदेश को रद्द कर दिया।
भाषा राखी माधव
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