Benefits of basking in sun: रिसर्चर्स ने एक नई स्टडी के आधार पर बताया है कि यूवी किरणों के संपर्क में आने से विटामिन-डी की बढ़ोतरी होती है, जिससे ऑटो-इम्यून बीमारियों से बचा जा सकता है। रिसर्चर्स के अनुसार, धूप हर उम्र के लोगों के लिए फायदेमंद है।
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इस स्टडी में अन्य रिसर्चर्स द्वारा पूर्व में किए गए अध्ययनों को भी शामिल किया गया है, जिसमें पाया गया था कि बचपन में पराबैंगनी किरणों के ज्यादा संपर्क के कारण उम्र बढ़ने पर एमएस यानी मल्टीपल स्केलेरोसिस की आशंका कम होती है। आपको बता दें कि एमएस में नर्व डैमेट होने के कारण ब्रेन और बॉडी के बीच संपर्क प्रभावित होता है, जिससे दृष्टि में हानि , दर्द, थकान आदि कई तरह की समस्याएं देखने को मिलती हैं।
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किस तरह हुई स्टडी
रिसर्चर्स ने इस स्टडी में 332 ऐसे प्रतिभागियों को शामिल किया, जिनकी उम्र 3 साल से 22 साल के बीच थी और उनमें औसतन 7 महीने से एमएस यानी मल्टीपल स्केलेरोसिस था। इन प्रतिभागियों के रहने के स्थान और धूप लेने के समय की तुलना 534 ऐसे प्रतिभागियों से की गई, जिन्हें एमएस नहीं था।
रिसर्चर्स ने इस स्टडी के लिए एक क्वेश्नायर भी भरवाया। जिसे या तो प्रतिभागियों ने खुद भरा या उनके माता-पिता ने भरा। रिसर्चर्स का उद्देश्य ये जानना था कि प्रतिभागी धूप में कितनी देर रहते हैं और उसका उन पर क्या प्रभाव पड़ता है? क्या इससे उन्हें बीमारियों से बचने में मदद मिलती है?
क्या कहते हैं जानकार
यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया सैन फ्रांसिस्को की न्यूरोलॉजिस्ट और स्टडी की को-राइटर इमैनुएल वाउबंट के अनुसार, धूप को विटामिन डी के स्तर पर बढ़ावा देने के लिए जाना जाता है। ये स्किन में ऐसे इम्यून सेल्स को भी उत्तेजित करती है, जिनकी एमएस जैसी बीमारियों से लड़ने में अहम भूमिका होती है। विटामिन-डी इम्यून सेल्स के जैविक कार्य को भी बदल सकता है और इस तरह ऑटो इम्यून बीमारियों से बचाने में भूमिका निभा सकता है।
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स्टडी में क्या निकला
रिसर्चर्स ने जब डाटा का विश्लेषण किया तो पाया कि जिन प्रतिभागियों ने रोजाना 30 मिनट से एक घंटा धूप ली उनमें मल्टीपल स्केलेरोसिस का खतरा उन लोगों की तुलना में 52 प्रतिशत कम था, जिन्होंने रोजाना औसतन 30 मिनट से कम धूप ली।
प्रतिभागियों का क्या कहना था
रिसर्चर्स के अनुसार, एमएस वाले 19 प्रतिशत प्रतिभागियों ने कहा कि उन्होंने पिछली गर्मियों के दौरान रोजाना 30 मिनट से भी कम समय धूप में बिताया था, जबकि जिन्हें एमएस नहीं था उनमें मात्र 6 प्रतिशत ही ऐसे लोग थे, जो रोजाना 30 मिनट से कम समय धूप में बिताते थे।