नौवी-दसवीं कक्षा के छात्रों को दो भारतीय भाषाएं, 11-12वीं के छात्रों को एक भारतीय भाषा पढ़नी होंगी |

नौवी-दसवीं कक्षा के छात्रों को दो भारतीय भाषाएं, 11-12वीं के छात्रों को एक भारतीय भाषा पढ़नी होंगी

नौवी-दसवीं कक्षा के छात्रों को दो भारतीय भाषाएं, 11-12वीं के छात्रों को एक भारतीय भाषा पढ़नी होंगी

:   Modified Date:  August 23, 2023 / 07:33 PM IST, Published Date : August 23, 2023/7:33 pm IST

नयी दिल्ली, 23 अगस्त (भाषा) शिक्षा मंत्रालय ने स्कूली शिक्षा का नया राष्ट्रीय पाठ्यचर्या ढांचा (एनसीएफ) तैयार किया है जिसके तहत 9वीं एवं 10वीं कक्षा के छात्रों को तीन भाषाओं का अध्ययन करना होगा जिसमें दो भारतीय भाषाएं होंगी। वहीं कक्षा 11वीं और 12वीं के छात्र-छात्राओं को दो भाषाओं का अध्ययन करना होगा और इनमें से कम से कम एक भाषा भारतीय होनी चाहिए।

इसरो के पूर्व प्रमुख के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता वाली समिति द्वारा तैयार एनसीएफ में कहा गया है कि 9-10वीं कक्षा के लिए सात विषय अनिवार्य होंगे जबकि 11-12वीं कक्षा के लिए छह विषय अनिवार्य होंगे।

इसमें कहा गया है कि ‘‘ विभिन्न स्तरों पर भाषाओं से लोकतांत्रिक एवं ज्ञानमीमांसा आधारित मूल्यों को विकसित करने तथा संस्कृति एवं समाज की विविधता के प्रति सम्मान की भावना (सांस्कृतिक साक्षरता) के विकास में मदद मिलेगी।’’

वर्तमान में 9वीं एवं 10वीं कक्षा के छात्र दो भाषाओं का अनिवार्य रूप से अध्ययन करते हैं जबकि 11वीं एवं 12वीं कक्षा के छात्र एक भाषा का अध्ययन करते हैं । 9वीं एवं 10वीं कक्षा के छात्रों को पांच विषय पढ़ने होते हैं और एक विषय अतिरिक्त शामिल करने का विकल्प होता है।

शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा कि कस्तूरीरंगन के मार्गदर्शन में संचालन समिति ने नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लिए पाठ्यचर्या तैयार की है और सरकार को सौंपा है तथा सरकार ने इसे राष्ट्रीय शिक्षा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) को सौंप दिया है।

स्कूली शिक्षा के राष्ट्रीय पाठ्यचर्या ढांचा के अनुसार, 9वीं एवं 10वीं कक्षा के लिए सभी स्कूलों को तीन भाषाओं की पेशकश करने की जरूरत है और इसमें से कम से कम दो भारतीय भाषा होनी चाहिए।

इसमें कहा गया है कि तीन भाषाओं के साथ सात अन्य विषय छात्रों को पढ़ने होंगे जिनमें गणित, गणनात्मक सोच, सामाजिक विज्ञान, विज्ञान, कला शिक्षा, शारीरिक शिक्षा, सेहत, व्यवसायिक शिक्षा और अंत: विषयक क्षेत्र शामिल हैं।

दस्तावेज के अनुसार, बोर्ड परीक्षा भाषा सहित केवल सात विषयों के लिए ली जाएगी और कला शिक्षा, शारीरिक शिक्षा, सेहत, व्यवसायिक शिक्षा का मूल्यांकन आंतरिक परीक्षा के रूप में होगा।

इसमें कहा गया है कि कला एवं विज्ञान, पाठ्यक्रम संबंधी या पाठ्येत्तर गतिविधियों तथा व्यावसायिक एवं अकादमिक विषयों के बीच कोई कड़ी विभाजन रेखा नहीं होनी चाहिए।

एनसीएफ के अनुसार, 11वीं और 12वीं कक्षा के छात्रों को भाषा शिक्षा के खंड से दो भाषाओं का अध्ययन करना होगा जिसमें एक भारतीय भाषा शामिल है।

स्कूली स्तर पर ‘राष्ट्रीय पाठ्यचर्या ढांचे’ के दस्तावेज के अनुसार, कक्षा 11वीं और 12वीं में विषयों का चयन कला, विज्ञान, वाणिज्य ‘स्ट्रीम’ तक सीमित नहीं रहेगा बल्कि छात्र-छात्राओं को अपनी पसंद का विषय चुनने की आजादी मिलेगी।

पाठ्यचर्या के अनुसार, व्यवसायिक शिक्षा, कला शिक्षा और शारीरिक शिक्षा एवं सेहत राष्ट्रीय पाठ्यचर्या ढांचे का अभिन्न हिस्सा है। हालांकि इन मामलों में अधिकांश मूल्यांकन प्रदर्शन आधरित होना चाहिए और लिखित परीक्षा आधारित नहीं।

इसमें कहा गया है कि ऐसी सिफारिश की जाती है कि सम्पूर्ण प्रमाणन में 75 प्रतिशत जोर प्रदर्शन आधारित मूल्यांकन पर दिया जाए और 25 प्रतिशत लिखित परीक्षा पर।

दस्तावेज के अनुसार, बोर्डो को इसके लिए उच्च गुणवत्ता की प्रणाली तैयार करनी होगी और इसे लागू करना होगा जो स्थानीय रूप से (स्कूलों में) प्रदर्शन के आधार पर मूल्यांकन करेंगे।

विज्ञान एवं अन्य विषयों का मूल्यांकन प्रदर्शन आधारित अर्थात प्रयोग करने से जुड़ा होना चाहिए। विषय के प्रमाणन में इसका 20-25 प्रतिशत महत्व होगा।

भाषा दीपक दीपक माधव

माधव

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)