स्टेन्स हत्याकांड: न्यायालय ने दारा सिंह की सजा माफी याचिका पर विचार करने को कहा

स्टेन्स हत्याकांड: न्यायालय ने दारा सिंह की सजा माफी याचिका पर विचार करने को कहा

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  • Publish Date - March 19, 2025 / 07:31 PM IST,
    Updated On - March 19, 2025 / 07:31 PM IST

नयी दिल्ली, 19 मार्च (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने ओडिशा सरकार से कहा कि वह ऑस्ट्रेलियाई मिशनरी ग्राहम स्टुअर्ट स्टेन्स हत्याकांड के दोषी रवींद्र पाल उर्फ ​​दारा सिंह की सजा माफी याचिका पर फैसला करे।

सिंह 1999 में ओडिशा के क्योंझर जिले में स्टेन्स और उनके दो नाबालिग बेटों की हत्या के लिए आजीवन कारावास की सजा काट रहा है।

न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ ने ओडिशा सरकार की ओर से पेश अधिवक्ता शिबाशीष मिश्रा से छह सप्ताह में निर्णय लेकर न्यायालय को अवगत कराने को कहा।

शीर्ष अदालत ने पिछले साल नौ जुलाई को सिंह की समयपूर्व रिहाई की याचिका पर ओडिशा सरकार को नोटिस जारी किया था।

सिंह ने कहा कि वह कर्म में विश्वास रखता है तथा बुरे कर्मों के प्रभाव को कम करने के लिए अपने चरित्र में सुधार करने को लेकर एक अवसर देने की प्रार्थना की।

अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन के माध्यम से दायर अपनी याचिका में सिंह ने कहा कि उसने 24 साल से अधिक समय जेल में बिताया है और ‘‘युवावस्था में आक्रोश में’’ की गई अपनी कार्रवाई के परिणामों के लिए ‘‘पश्चाताप’’ किया है। अदालत से दया का अनुरोध करते हुए सिंह ने ‘‘सेवा-उन्मुख कार्यों’’ के माध्यम से ‘‘समाज की सेवा’’ का आश्वासन दिया।

उसने राज्य सरकार को निर्देश देने का अनुरोध किया कि वह उन तीन मामलों में आजीवन कारावास की सजा पाए दोषियों की समयपूर्व रिहाई के लिए 2022 में जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार राहत के लिए उसके मामले पर विचार करे, जिनमें उसे दोषी ठहराया गया था।

सिंह (61) ने कहा कि उसने 19 अप्रैल, 2022 की नीति के तहत 14 वर्ष की सजा की निर्धारित अवधि से अधिक सजा काट ली है और बिना किसी छूट के कारावास में 24 वर्ष बिताये हैं।

सिंह के नेतृत्व में एक भीड़ ने 22-23 जनवरी, 1999 की रात को क्योंझर जिले के मनोहरपुर गांव में स्टेन्स और उनके दो बेटों- 11 वर्षीय फिलिप और 8 वर्षीय टिमोथी पर उस समय हमला किया जब वे अपने वाहन में सो रहे थे और फिर वाहन को आग लगा दी। तिहरे हत्याकांड के मुख्य आरोपी सिंह को 2003 में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की अदालत ने दोषी ठहराया और मौत की सजा सुनाई।

उड़ीसा उच्च न्यायालय ने 2005 में उसके मृत्युदंड को आजीवन कारावास में बदल दिया तथा 2011 में उच्चतम न्यायालय ने भी इसे बरकरार रखा।

भाषा आशीष रंजन

रंजन