Eknath Shinde: महाराष्ट्र में जारी राजनीतिक संकट अब खत्म हो गया है। एकनाथ शिंदे अब महाराष्ट्र के नए सीएम बन जाएंगे । उनके बगावती तेवर से महाराष्ट्र के सियासत में भूचाल आ गया। बागी विधायकों के साथ उन्होंने शिवसेना की नींव हिला दी। उद्धव ठाकरे सरकार को इस्तीफा देने के लिए मजबूर कर दिया। ऐसे में महाराष्ट्र की राजनीति में एकनाथ शिंदे का नाम चर्चा में है। शिवसेना में नंबर दो कहे जाने वाले एकनाथ शिंदे की बगावत से उद्धव ठाकरे की सरकार ही नहीं बल्कि पार्टी भी हिल गई है।
यह भी पढ़ें : देवेंद्र फडणवीस ने क्यों कर दिया ‘सत्ता का त्याग’?, एकनाथ शिंदे को महाराष्ट्र का सीएम बनाने के पीछे BJP का ये है बड़ा प्लान!
एकनाथ शिंदे ने शिवसेना को वह झटका दिया है, जो नारायण राणे, राज ठाकरे और छगन भुजबल जैसे नेता भी नहीं दे पाए थे। साफ है कि एकनाथ शिंदे राजनीति के बड़े खिलाड़ी हैं। यही वजह है कि उनके पास शिवसेना के ही करीब 40 विधायकों का समर्थन हासिल है। हालांकि बहुत कम लोग जानते हैं कि एक वक्त ऐसा था, जब एकनाथ शिंदे राजनीति ही छोड़ने जा रहे थे।
यह वाकया 2 जून, 2020 का है। जब वह परिवार के साथ अपने गांव के निकट एक झील में बोटिंग के लिए गए थे। इसी दौरान नाव पलट गई और उनके 11 साल के बेटे दीपेश और 7 वर्ष की बेटी सुभदा की डूबने से मौत हो गई थी। अपनी आंखों के सामने बच्चों की डूबकर मौत होने के चलते एकनाथ शिंदे डिप्रेशन में चले गए थे और महीनों तक दुनिया से अलग रहे। यही नहीं उन्होंने राजनीति को भी छोड़ने का फैसला ले लिया था। लेकिन अपने गुरु कहे जाने वाले आनंद दीघे के कहने पर उन्होंने वापसी की और फिर ठाणे के शीर्ष नेता के तौर पर उभरे। आज वह अघाड़ी सरकार में नगर विकास मंत्री हैं, जबकि उनके बेटे श्रीकांत शिंदे लोकसभा सांसद हैं।
यह भी पढ़ें : सरकार में शामिल नहीं होंगे देवेंद्र फडणवीस, बाहर से करेंगे समर्थन, जानिए उनके ‘किंग से किंगमेकर’ की कहानी
आनंद दीघे ठाणे क्षेत्र के शीर्ष नेता थे और 2001 में उनके निधन के बाद उस विरासत को शिंदे ने ही आगे बढ़ाया था। इसके बाद नारायण राणे और राज ठाकरे का शिवसेना से अलगाव हुआ तो एकनाथ शिंदे संकटमोचक के तौर पर उभरे। उन्हें बालासाहेब ठाकरे का आशीर्वाद प्राप्त था और तेजी से शिवसेना की राजनीति में उनका कद बढ़ता गया। बाहुबल और धनबल के मामले में भी एकनाथ शिंदे को मजबूत माना जाता है। यही नहीं 2019 में भी एकनाथ शिंदे ने ही विधायकों को एकजुट करने का काम किया ताकि अघाड़ी सरकार का गठन हो सके।
यह भी पढ़ें : महाराष्ट्र के बाद अब इस राज्य के CM के खिलाफ विधानसभा में लाया जाएगा प्रस्ताव, UDF ने खोला मोर्चा
कहा जाता है कि एकनाथ शिंदे के मन में दबी हुई आकांक्षा थी कि वह सीएम बनेंगे, लेकिन अघाड़ी सरकार का नेतृत्व खुद उद्धव ठाकरे ने किया। इसके अलावा आदित्य ठाकरे मंत्री बन गए। इसके चलते एक तऱफ उद्धव ठाकरे शीर्ष नेता रहे तो दूसरा सत्ता केंद्र आदित्य ठाकरे बन गए। कहा जाता है कि यहीं से एकनाथ शिंदे खुद को साइडलाइन महसूस करने लगे। सरकार के कामकाज में आदित्य ठाकरे के दखल, एनसीपी और कांग्रेस को ज्यादा तवज्जो के चलते एकनाथ शिंदे और उनका गुट खुद को उपेक्षित महसूस करने लगा। अंत में यही नाराजगी मौका देखकर बगावत में तब्दील हो गई।
यह भी पढ़ें : महाराष्ट्र के एक’नाथ’: कभी ऑटो रिक्शा चलाते थे एकनाथ शिंदे, जानिए ड्राइवर से लेकर CM तक का सफर