बेंगलुरु, छह जनवरी (भाषा) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने सोमवार को कहा कि सात जनवरी को निर्धारित ‘स्पैडेक्स’ उपग्रहों का ‘डॉकिंग प्रयोग’ अब नौ जनवरी तक स्थगित कर दिया गया है।
सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में बेंगलुरु स्थित अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा, ‘‘सात जनवरी को निर्धारित ‘स्पैडेक्स डॉकिंग’ प्रयोग अब नौ जनवरी तक के लिए स्थगित कर दिया गया है।’’
इसरो ने 30 दिसंबर को महत्वाकांक्षी स्पेस डॉकिंग एक्सपेरीमेंट (स्पैडेक्स) मिशन को सफलतापूर्वक शुरू किया था।
पीएसएलवी सी60 रॉकेट ने दो छोटे उपग्रहों, एसडीएक्स01 (चेजर) और एसडीएक्स02 (टारगेट) तथा 24 पेलोड को लेकर श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के प्रथम लॉन्चपैड से उड़ान भरी थी तथा उड़ान के लगभग 15 मिनट बाद, लगभग 220 किलोग्राम वजन वाले दो छोटे अंतरिक्ष यान को 475 किलोमीटर की वृत्ताकार कक्षा में प्रक्षेपित कर दिया गया था।
इसरो के अनुसार, ‘स्पैडेक्स मिशन’ एक किफायती प्रौद्योगिकी प्रदर्शन मिशन है, जो दो छोटे अंतरिक्ष यान का उपयोग करके अंतरिक्ष में ‘डॉकिंग’ के प्रदर्शन के लिए पीएसएलवी द्वारा प्रक्षेपित किया गया है।
यह प्रौद्योगिकी भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षी परियोजनाओं जैसे कि चंद्रमा पर भारत की यात्रा, चंद्रमा से नमूने वापस लाना, भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (बीएएस) का निर्माण और संचालन आदि के लिए आवश्यक है।
‘स्पेस डॉकिंग’ तकनीक का तात्पर्य अंतरिक्ष में दो अंतरिक्ष यानों को जोड़ने की तकनीक से है। यह एक ऐसी तकनीक है जिसकी सहायता से मानव को एक अंतरिक्ष यान से दूसरे अंतरिक्ष यान में भेज पाना संभव होता है। अतः स्पेस डॉकिंग अंतरिक्ष स्टेशन के संचालन के लिये अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। डॉकिंग में अंतरिक्ष यान अपने आप ही स्टेशन से जुड़ सकता है।
अंतरिक्ष में दो अलग-अलग चीजों को जोड़ने की यह तकनीक ही भारत को अपना अंतरिक्ष स्टेशन बनाने में और चंद्रयान-4 परियोजना में मदद करेगी।
भाषा सुरभि मनीषा
मनीषा