एससीबीए से परामर्श के बिना मुकदमों की प्रत्यक्ष सुनवाई के लिए तैयार एसओपी लागू नहीं होगी : सुप्रीम कोर्ट

एससीबीए से परामर्श के बिना मुकदमों की प्रत्यक्ष सुनवाई के लिए तैयार एसओपी लागू नहीं होगी : सुप्रीम कोर्ट

एससीबीए से परामर्श के बिना मुकदमों की प्रत्यक्ष सुनवाई के लिए तैयार एसओपी लागू नहीं होगी : सुप्रीम कोर्ट
Modified Date: November 29, 2022 / 08:27 pm IST
Published Date: March 12, 2021 11:31 am IST

नयी दिल्ली, 12 मार्च (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को मौखिक रूप से कहा कि अगर वकीलों की संस्था एससीबीए से परामर्श नहीं होता तो 15 मार्च से मुकदमों की प्रत्यक्ष सुनवाई के लिए तय मानक परिचालन प्रक्रिया (एसओपी) को जाना होगा।

न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता की पीट ने वरिष्ठ अधिवक्ता एवं सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) के अध्यक्ष विकास सिंह द्वारा दाखिल जवाब को सुना जिसमें कहा गया कि न्याय देने की प्रणाली में बार निकाय समान हितधारक है और उच्चतम न्यायालय की रजिस्ट्री ने हाइब्रिड आमने-सामने की सुनवाई (हाइब्रिड का अभिप्राय ऑनलाइन एवं ऑफलाइन स्वरूप में संयुक्त सुनवाई) के लिए एसओपी बनाने में उनसे परामर्श नहीं लिया।

इस पर पीठ ने मौखिक रूप से कहा, ‘‘अगर बार से परामर्श नहीं लिया गया है तो एसओपी को जाना होगा।’’ इसके साथ ही पीठ ने वीडियो कांफ्रेंस के जरिये की गई सुनवाई में एससीबीए की याचिका पर मंगलवार के लिए सूचीबद्ध कर दी।

 ⁠

एससीबीए और इसके कोषाध्यक्ष मनीष कुमार दुबे ने याचिका दायर कर एसओपी को रद्द करने और शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री को बिना बार से परामर्श लिए कोई परिपत्र जारी नहीं करने का निर्देश देने का अनुरोध किया है।

उल्लेखनीय है कि कोरोना वायरस की महामारी के चलते शीर्ष अदालत में मार्च महीने से ही मामलों की वीडियो कांफ्रेंस से सुनवाई हो रही है। पांच मार्च को रजिस्ट्री ने एसओपी जारी की और अगले ही दिन वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह के नेतृत्व में एससीबीए की नव निर्वाचित कार्यकारी समिति ने इसे खारिज कर दिया।

एसओपी में कहा गया , ‘‘ प्रायोगिक तौर पर और पायलट योजना के तहत मंगलवार, बुधवार और बृहस्पतिवार को मामलों की अंतिम एवं नियमित सुनवाई हाइब्रिड पद्धति से होगी जिसका निर्धारण पीठ मामलों के पक्षकरों की संख्या एवं अदालत कक्ष की क्षमता पर संज्ञान लेकर कर सकती हैं। अन्य मामले जिनमें सोमवार और शुक्रवार को सूचीबद्ध मामले शामिल हैं, उनकी सुनवाई वीडियो/टेली कांफ्रेंस माध्यम से जारी रह सकेंगी।’’

भाषा धीरज अविनाश शाहिद अनूप

अनूप


लेखक के बारे में