असम के ‘मोइदम’ को यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल किये जाने पर सोनोवाल ने सराहना की

असम के ‘मोइदम’ को यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल किये जाने पर सोनोवाल ने सराहना की

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  • Publish Date - July 26, 2024 / 04:44 PM IST,
    Updated On - July 26, 2024 / 04:44 PM IST

नयी दिल्ली, 26 जुलाई (भाषा) केंद्रीय मंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने असम में अहोम वंश के सदस्यों को मृत्यु पश्चात उनकी प्रिय वस्तुओं के साथ टीलेनुमा ढांचे में दफनाने की व्यवस्था ‘मोइदम’ को शुक्रवार को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल करने के फैसले की सराहना करते हुए कहा कि ये अहोम राजवंश की शाश्वत पद्धति के प्रमाण हैं।

अहोम राजवंश के सदस्यों को उनकी प्रिय वस्तुओं के साथ टीले नुमा ढांचे में दफनाने की 600 साल पुरानी व्यवस्था ‘मोइदम’ को यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल किया गया है।

इसी के साथ ‘मोइदम’ इस सूची में जगह बनाने वाली पूर्वोत्तर भारत की पहली सांस्कृतिक संपत्ति बन गई।

यह निर्णय भारत में आयोजित किए जा रहे विश्व धरोहर समिति (डब्ल्यूएचसी) के 46वें सत्र में लिया गया।

सोनोवाल ने ‘एक्स’ पर कहा, “चराईदेव के ‘मोइदम’ अहोम राजवंश की कालातीत पद्धति , उनकी विरासत और अभिनव वास्तुशिल्प के प्रमाण हैं। वे असम के इतिहास और पहचान के साथ एक गहरा रिश्ता बनाते हैं।”

उन्होंने कहा, “आज मुझे एक असमिया होने पर बहुत गर्व है। असम के लोगों की ओर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और यूनेस्को की टीम को मेरा आभार।”

भारत ने 2023-24 के लिए यूनेस्को (संयुक्त राष्ट्र शैक्षणिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन) की विश्व धरोहर सूची में शामिल किए जाने के लिए देश की ओर से नामांकन के रूप में ‘मोइदम’ का नाम दिया था।

‘मोइदम’ पिरामिड सरीखी अनूठी टीलेनुमा संरचनाएं हैं, जिनका इस्तेमाल ताई-अहोम वंश द्वारा अपने राजवंश के सदस्यों को मृत्यु पश्चात उनकी प्रिय वस्तुओं के साथ दफनाने के लिए किया जाता था। ताई-अहोम राजवंश ने असम पर लगभग 600 साल तक शासन किया था।

भाषा जितेंद्र नरेश

नरेश

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