(नीलाभ श्रीवास्तव)
वायनाड/तिरुवनंतपुरम, 31 अगस्त (भाषा) केरल सरकार के अधिकारियों को आशंका है कि राज्य के वायनाड जिले के भूस्खलन प्रभावित कुछ क्षेत्रों को उनकी स्थलाकृति में हुए भारी नुकसान के बाद स्थायी रूप से ‘मानव निवास रहित’ क्षेत्र घोषित किया जा सकता है।
वायनाड में 30 जुलाई की आपदा के बाद से कई जीवित बचे लोग सदमे में हैं, कई लोग अपने घरों में वापस नहीं लौटना चाहते हैं और अपने सिर पर फिर से छत, मुआवजे और आजीविका के साधन को लेकर चिंतित हैं।
प्रभावित लोगों विशेष रूप से मेप्पडी पंचायत के अंतर्गत आने वाले तीन सबसे अधिक प्रभावित गांवों पुंचिरीमट्टम, चूरलमाला और मुंडक्कई के ग्रामीणों के जीवन को बहाल करने के लिए काम कर रहे अधिकारियों ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि पहले दो गांवों (वार्ड संख्या 10, 11 और 12) के कुछ हिस्सों में मानव निवास भविष्य में संभव नहीं हो सकेगा।
एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने इस चिंता को व्यक्त करते हुए कहा कि कुछ क्षेत्रों की स्थलाकृति चौड़ी हुई गायत्री नदी के कारण ‘स्थायी रूप से बदल’ गई है, जो बड़े पैमाने पर चट्टानों, बजरी और उखड़े हुए पेड़ों को बहा ले गई और रास्ते में आने वाली हर चीज (घर, स्कूल, मंदिर और अन्य सार्वजनिक बुनियादी ढांचे) को नष्ट कर दिया।
प्रभावित इलाकों के स्थानीय लोगों की भी यही चिंता है। 39 वर्षीय राजेश टी, जो पुंचिरीमट्टम में अपने घर के बगल में एक शेड के नीचे दर्जी की दुकान चलाते थे। उनका घर बुरी तरह तबाह हो गया, जिसे उनके पौधारोपण का काम करने वाले उनके माता-पिता ने अपनी सीमित बचत से सात साल पहले बनवाया था।
राजेश कहते हैं, ‘‘मुझे विश्वास नहीं हो रहा है कि मेरा घर गंदगी से भर गया है और खिड़कियों से लेकर दरवाजे तक सब कुछ टूटकर गिर गया है। मेरे घर के ठीक सामने के दो घर उस रात बह गए थे।’’
मुझ में अब यहां रहने की हिम्मत नहीं है। इस क्षेत्र के कई लोग जो सरकारी आवासों या किराए के घरों में हैं, उनकी भी यही भावना है।
मुंडक्कई के 35 वर्षीय मालवाहक ऑटो चालक उनैस सी सीमेंट की 300 बोरी और कुछ एस्बेस्टस शीट के नुकसान से चिंतित हैं, जिन्हें उन्होंने एक हार्डवेयर स्टोर में बिक्री के लिए संग्रहीत किया था।
उन्होंने कहा, ‘‘दुकान के साथ-साथ सभी बोरियां भी बह गईं। मैंने हाल ही में अपनी आय बढ़ाने के लिए सीमेंट का व्यवसाय शुरू किया था ताकि मैं अपने परिवार का भरण-पोषण कर सकूं। मैंने मुआवजे के लिए सरकार के पास आवेदन भेजा है और मैं उनके जवाब की प्रतीक्षा कर रहा हूं।’’
नृत्य शिक्षिका जिथिका प्रेम का कहना है कि उस भयावह रात में आया विनाशकारी भूस्खलन किसी डरावनी फिल्म के दृश्य जैसा था। वह अपने घर और उन पड़ोसियों के बारे में सोचकर ‘उदास’ महसूस करती हैं जिनकी जान चली गई, इसलिए वह कभी नहीं वापस जाना चाहती हैं।
चूरलमाला में 3,000 रुपये प्रति माह पर किराए के मकान में रहने वाले दिहाड़ी मजदूर आरिफ का कहना है कि वह नौकरी और नया घर ढूंढ़ने को लेकर चिंतित हैं।
आरिफ न कहा, ‘‘मेरे परिवार को सरकार से प्रति दिन 600 रुपये की सहायता मिलती है। मैंने भूस्खलन में अपना आधार और राशन कार्ड खो दिया था, लेकिन एक विशेष शिविर में इसकी दूसरी प्रति बनवा ली। मैं बस घटना स्थल से दूर एक स्थायी घर में बसना चाहता हूं।’’
यहां लोग तरह-तरह की समस्याओं से जूझ रहे हैं। एक आश्रय गृह के एक स्वयंसेवक ने कहा कि सरकार ने प्रभावित लोगों की मदद की है लेकिन उनके जीवन को सामान्य बनाने के लिए और भी बहुत कुछ करने की जरूरत है।
भाषा संतोष माधव
माधव