देहरादून, 25 जनवरी (भाषा) उत्तराखंड में जल्द लागू होने वाले समान नागरिक संहिता (यूसीसी) अधिनियम में सैनिकों के लिए “प्रिविलेज्ड वसीयत” का प्रावधान किया गया है।
राज्य में सशस्त्र बलों में उत्कृष्ट योगदान देने की परंपरा के मद्देनजर किए गए प्रिविलेज्ड वसीयत के प्रावधान के अनुसार, सक्रिय सेवा या तैनाती पर रहने वाले सैनिक, वायुसैनिक या नौसैनिक अपनी वसीयत को सरल और लचीले नियमों के तहत भी तैयार कर सकते हैं-चाहे वह हस्तलिखित हो, मौखिक रूप से निर्देशित की गई हो, या गवाहों के समक्ष शब्दशः प्रस्तुत की गई हो।
प्रिविलेज्ड वसीयत, जो मौखिक या हस्तलिखित हो सकती है, सैनिकों की संपत्ति से संबंधित इच्छाओं को एक महीने के लिए वैध बनाती है।
इस प्रावधान का मूल उद्देश्य यह है कि कठिन व उच्च-जोखिम वाली परिस्थितियों में तैनात सैनिक भी अपनी संपत्ति-संबंधी इच्छाओं को प्रभावी ढंग से दर्ज करा सकें। उदाहरण के लिए, अगर कोई सैनिक स्वयं अपने हाथ से वसीयत लिखता है, तो उसके लिए हस्ताक्षर या साक्ष्य (अटेस्टेशन) की औपचारिकता आवश्यक नहीं होगी, बशर्ते यह स्पष्ट हो कि वह दस्तावेज उसी की इच्छा से तैयार किया गया है।
इसी तरह, यदि कोई सैनिक मौखिक रूप से दो गवाहों के समक्ष अपनी वसीयत की घोषणा करता है तो उसे भी ‘प्रिविलेज्ड वसीयत’ माना जाएगा। हालांकि, यह एक माह बाद स्वतः अमान्य हो जाएगी यदि वह व्यक्ति तब भी जीवित है और सक्रिय सेवा जैसी उसकी विशेष सेवा-स्थितियां समाप्त हो चुकी हैं।
इसके अतिरिक्त, अगर कोई अन्य व्यक्ति सैनिक के निर्देशानुसार वसीयत का मसौदा तैयार करता है, जिसे सैनिक जुबानी या व्यवहार से स्वीकार कर ले तो ऐसी स्थिति में भी उसे मान्य प्रिविलेज्ड वसीयत का दर्जा प्राप्त होगा।
इसके साथ ही, यदि सैनिक ने वसीयत लिखने के लिखित निर्देश दिए हों, पर उसे अंतिम रूप देने से पहले ही उसकी मृत्यु हो गयी हो, तब भी उन निर्देशों को वसीयत माना जाएगा, बशर्ते यह प्रमाणित हो कि वह उन्हीं की इच्छाएं थीं।
इसी तरह, यदि दो गवाहों के सामने मौखिक निर्देश दिए गए हों और वे गवाह सैनिक के जीवनकाल में उसे लिखित रूप में दर्ज कर दें लेकिन दस्तावेज को औपचारिक रूप से अंतिम रूप नहीं दिया जा सका हो, तो भी ऐसे निर्देशों को वसीयत का दर्जा मिल सकता है।
‘प्रिविलेज्ड वसीयत’ को भविष्य में सैनिक द्वारा एक नयी प्रिविलेज्ड वसीयत, या साधारण वसीयत बनाकर रद्द या संशोधित भी किया जा सकता है।
गौरतलब है कि यूसीसी अधिनियम में वसीयत बनाना किसी के लिए अनिवार्य नहीं है और यह केवल एक व्यक्तिगत निर्णय है। हालांकि, जो व्यक्ति अपनी संपत्ति के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश निर्धारित करना चाहता है, उसके लिए अधिनियम में एक सुरक्षित और सरल व्यवस्था की गयी है।
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दीप्ति, रवि कांत रवि कांत