नई दिल्ली । साल 2020 में 21 जून को होने वाले सूर्य ग्रहण विशेष होगा । दरअसल 21 जून को दिन वर्ष का सबसे बड़ा दिन होता है, इससे पहले बीते 76 वर्षों में 21 जून को इस तरह का मौका नहीं आया था। ज्योतिषियों की मानें तो इस ग्रहण का नकारात्मक प्रभाव देखने को मिलेगा, जिससे सामाजिक स्थिति में टकराव, मानसिक अस्थिरता, सैन्य गतिविधियों में तेजी, खाद्यान्न के भावों में उछाल सहित उत्तर की ओर भूकंप की स्थिति बन रही है । ग्रहण के बाद विषाक्त जीवाणुओं से रोगों में बढ़ोतरी की आशंका बढ़ सकती है।
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चेन्नई के वैज्ञानिक का दावा
चेन्नई के न्यूक्लियर एंड अर्थ साइंटिस्ट डॉ. केएल सुंदर कृष्णा ने एक अलग तरह का दावा किया है। कृष्णा के दावा मुताबिक बीते साल 26 दिसंबर को सूर्य ग्रहण लगा था। उनका कहना है कि सूर्यग्रहण के बाद उत्सर्जित विखंडन ऊर्जा की वजह से पहले न्यूट्रॉन के कण के संपर्क के बाद कोरोनो वायरस इस कदर कहर बरपा है।
चेन्नई के वैज्ञानिक का दावा है कि दिसंबर 2019 से कोरोनो वायरस हमारे जीवन को नष्ट करने के लिए आया है। मेरी समझ के अनुसार, 26 दिसंबर के आखिरी सूर्य ग्रहण होने के बाद सौर मंडल में ग्रहों की स्थिति में बदलाव हुआ है, यह उसी की नतीजा है। डॉ. कृष्णा ने कहा कि 21 जून को लगने वाला सूर्य ग्रहण कोरोना के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है जो कोरोना को निष्क्रिय यानि खत्म कर सकता है।
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सूर्य ग्रहण खत्म कर देगा कोरोना वायरस को
डॉ. कृष्णा ने लोगों से अपील करते हुए कहा कि कोरोना वायरस से डरने की जरूरत नहीं है। सूर्य की प्रखर रोशनी और सूर्य ग्रहण के समय निकला प्रकाश इस जानलेवा वायरस के लिए नेचुरल ट्रीममेंट साबित होंगे। डॉ. कृष्णा ने आशंका जताई है कि म्युटेशन प्रोसेस सबसे पहले चीन में शुरू हुई हो, इसलिए यह वायरस सबसे पहले वहां नजर आया है। हालांकि इसके कोई सबूत नहीं है।
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