जयपुर, 24 जनवरी (भाषा) सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की अजमेर स्थित दरगाह को हिंदू मंदिर घोषित करने के अनुरोध वाली याचिका में पक्षकार बनने के लिए छह और आवेदन स्थानीय अदालत में पेश किए गए हैं।
इससे पहले, मामले में पक्षकार बनने के लिए पांच आवेदन पेश किए गए थे, जिससे ऐसे आवेदनों की कुल संख्या बढ़कर 11 हो गई है।
हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता की ओर से अदालत में याचिका दाखिल की गई थी। याचिका में दावा किया गया है कि जिस स्थान पर दरगाह बनाई गई, वहां एक शिव मंदिर था और मंदिर का पता लगाने के लिए सर्वेक्षण किया जाना चाहिए।
गुप्ता ने संवाददाताओं से कहा, “हमने पिछले आवेदनों पर अदालत के समक्ष अपना जवाब पेश किया है। याचिका को खारिज करने के लिए आवेदन पेश किए गए थे। हमने नये आवेदनों पर जवाब देने के लिए समय मांगा है। अब अदालत एक मार्च को मामले की सुनवाई करेगी।”
अदालत ने पिछले साल 27 नवंबर को गुप्ता के वाद को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया था और अजमेर दरगाह समिति, अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय तथा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) दिल्ली को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था।
याचिका से एक नया विवाद खड़ा हो गया था और मुस्लिम धर्मगुरुओं व नेताओं ने इस पर नाराजगी जताई थी। उन्होंने कहा था कि इस तरह की घटनाएं देश में एकता और भाईचारे के खिलाफ हैं और इन्हें रोका जाना चाहिए।
ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती फारस के एक सूफी संत थे, जो अजमेर में रहने लगे थे। कहा जाता है कि मुगल बादशाह हुमायूं ने ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की याद में यह दरगाह बनवाई थी और उनके बेटे अकबर अपने शासनकाल के दौरान हर साल यहां आते थे। अकबर और बाद में बादशाह शाहजहां ने दरगाह परिसर के अंदर मस्जिदें बनवाईं। अजमेर शरीफ दरगाह को भारत में मुस्लिमों के सबसे पवित्र तीर्थस्थलों में से एक माना जाता है।
भाषा
पृथ्वी पारुल
पारुल