वर्ष 2015 से 12 विधेयक संयुक्त समिति के पास भेजे गए

वर्ष 2015 से 12 विधेयक संयुक्त समिति के पास भेजे गए

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  • Publish Date - December 23, 2024 / 05:43 PM IST,
    Updated On - December 23, 2024 / 05:43 PM IST

नयी दिल्ली, 23 दिसंबर (भाषा) संयुक्त की संयुक्त समिति के विचार के लिए वर्ष 2015 से अब तक कुल 12 विधेयक भेजे गए हैं जिनमें ‘एक देश-एक चुनाव’ से सबंधित दो विधेयक नवीनतम हैं।

सरकार ने दोनों विधेयकों पर व्यापक विचार-विमर्श के लिए संयुक्त समिति के पास भेजने का फैसला किया और बीते सप्ताह लोकसभा से इसे मंजूरी मिली।

इनमें से एक विधेयक ‘संविधान (129वां संशोधन) विधेयक, 2024’ लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने के प्रावधान वाला है।

यह संविधान में संशोधन से संबंधित विधेयक है, इसलिए इसे दो-तिहाई सदस्यों के समर्थन की आवश्यकता होगी।

इसी विधेयक से जुड़ा ‘संघ राज्य क्षेत्र विधि (संशोधन) विधेयक, 2024’ दिल्ली, पुडुचेरी तथा जम्मू और कश्मीर की विधानसभाओं के कार्यकाल को अन्य विधानसभाओं के साथ संबद्ध करने के प्रावधान वाला है।

इन तीनों केंद्रशासित प्रदेशों में विधानसभाएं हैं। यह एक सामान्य विधेयक है जिसे पारित करने के लिए साधारण बहुमत की आवश्यकता होती है।

विपक्षी दलों ने इन दोनों विधेयकों को देश के संविधान के मूल ढांचे और संघीय व्यवस्था पर हमला बताया है।

‘एक देश-एक चुनाव’ से संबंधित विधेयकों से पहले, वक्फ (संशोधन) विधेयक आखिरी विधेयक था जिसे व्यापक परामर्श के लिए संयुक्त समिति को भेजा गया था।

यदि एक सदन किसी विधेयक को संयुक्त समिति को भेजने का निर्णय लेता है, तो यह दूसरे सदन को समिति के लिए सदस्यों को नामित करने के लिए सूचित करता है।

संयुक्त समिति दोनों सदनों की तरह ही विधेयक पर खंड दर खंड विचार करती है। समिति के सदस्यों द्वारा विभिन्न खंडों में संशोधन प्रस्तुत किये जा सकते हैं।

विधेयक पर विचार करने के बाद समिति अपनी रिपोर्ट सदन को सौंपती है। जो सदस्य बहुमत की रिपोर्ट से सहमत नहीं हैं, वे इस पर असहमति नोट दे सकते हैं।

संयुक्त समिति को भेजे गए विधेयकों में भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन में उचित मुआवजा और पारदर्शिता का अधिकार (दूसरा संशोधन) विधेयक, 2015, दिवाला और दिवालियापन संहिता, 2015, सुरक्षा हित का प्रवर्तन और ऋण वसूली कानून और विविध प्रावधान (संशोधन) विधेयक, 2016, और नागरिकता अधिनियम, 1955 में संशोधन करने वाला विधेयक शामिल हैं।

वित्तीय समाधान और बीमा विधेयक, 2017 और जन विश्वास (उपबंधों का संशोधन) विधेयक, 2022 पर विचार के लिए इसी तरह की संयुक्त संसदीय समिति का गठन किया गया था।

वन (संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2023 को भी एक संयुक्त समिति के पास भेजा गया था।

भाषा हक हक नरेश

नरेश