(अभिषेक शुक्ला)
नयी दिल्ली, 12 जनवरी (भाषा) केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के निदेशक प्रवीण सूद ने हाल ही में शुरू किए गए इंटरपोल ‘सिल्वर’ नोटिस को विदेशों में अवैध संपत्तियों के बारे में सूचना जुटाने के लिए पारस्परिक कानूनी सहायता संधि (एमएलएटी) की तुलना में ‘‘अधिक प्रभावी’’ तरीका करार देते हुए कहा है कि यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का विचार था, जो अब साकार हो गया है।
उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ के साथ साक्षात्कार में कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने 2015 में विदेश में धनशोधन का पता लगाने के लिए इंटरपोल के तहत एक प्रणाली का प्रस्ताव दिया था और अब यह सिल्वर नोटिस के रूप में आकार ले चुका है।
सिल्वर नोटिस इंटरपोल के आठ रंग-कोड आधारित नोटिस में नवीनतम है, जिसका उद्देश्य सीमाओं के पार अवैध रूप से जमा की गई संपत्तियों का पता लगाना है। ये नोटिस देशों को विश्वभर में अवैध संपत्ति के संबंध में सूचना के लिए अलर्ट और अनुरोध साझा करने में सक्षम बनाता है।
परंपरागत रूप से, विदेशों में अवैध संपत्तियों के बारे में जानकारी एमएलएटी के माध्यम से एकत्र की जाती है। एमएलएटी दो देशों के बीच संधि होती है, जिसके तहत वे अपराध की रोकथाम, जांच और अभियोजन में औपचारिक सहायता प्रदान करने और प्राप्त करने के लिए सहयोग करते हैं।
सीबीआई निदेशक ने कहा, ‘‘एमएलएटी से इसका महत्व बढ़ाकर इंटरपोल नोटिस कर दिया गया है, जिससे यह प्रक्रिया और बेहतर हो गई है। अब इंटरपोल नोटिस के माध्यम से सदस्य देशों को अधिक स्वीकार्यता मिलेगी। संभवतः और अधिक सूचनाएं सामने आएंगी।’’
हालांकि, सूद ने कहा कि एमएलएटी एक प्रभावी उपकरण बना रहेगा, क्योंकि यह इंटरपोल नोटिस की तुलना में अधिक आसान है क्योंकि यह दो या अधिक देशों के स्तर पर अधिक व्यवहार्य है। उन्होंने कहा कि इंटरपोल नोटिस की पहुंच तो अधिक है, लेकिन इसका उपयोग कम ही होता है।
भाषा शफीक नेत्रपाल
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