नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने सोमवार को कहा कि जाति आधारित जनगणना का इस्तेमाल राजनीति या चुनाव प्रथाओं के बजाय केवल उन समुदायों या जातियों की बेहतरी के लिए किया जाना चाहिए जो पिछड़ रहे हैं। (Should there be a caste census in India?) आरएसएस समन्वय बैठक के समापन दिवस पर प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए आंबेकर ने कहा कि जाति और जाति संबंधों के मुद्दे बहुत संवेदनशील हैं और इनसे बहुत गंभीरता से निपटा जाना चाहिए। यह हमारी “राष्ट्रीय एकता” और “अखंडता” के मुद्दे हैं।
उन्होंने कहा क़ी, “आरएसएस के रूप में, हमने पहले ही इस मुद्दे पर टिप्पणी की है। हमारे हिंदू समाज में, हमारे पास हमारी जाति और जाति संबंधों का एक संवेदनशील मुद्दा है। यह हमारी राष्ट्रीय एकता और अखंडता का एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, इसलिए इसे बहुत गंभीरता से निपटा जाना चाहिए, न कि केवल चुनावों, चुनाव प्रथाओं या राजनीति के आधार पर,”।
आम्बेकर ने बताया कि, बैठक के दौरान सदस्यों ने कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में जूनियर डॉक्टर के बलात्कार और हत्या की घटना पर गहन चर्चा की है। इसके लिए उन्होंने “पाँच मोर्चे” तय किए हैं जिन पर वे इस मुद्दे को उठाएँगे। (Should there be a caste census in India?) पहला मोर्चा होगा कानूनी तौर पर हम इस मुद्दे से कैसे निपट सकते हैं? दूसरा, हम समाज में जागरूकता कैसे पैदा कर सकते हैं? तीसरा परिवार में ‘संस्कार’। हर परिवार में, हम ऐसा माहौल और ‘संस्कार’ बना सकते हैं, जिससे हमारा समाज ऐसे कुख्यात व्यक्तियों से दूर हो जाए। चौथा मोर्चा हमारी शिक्षा, औपचारिक और अनौपचारिक, जहां हमें इस मुद्दे की संवेदनशीलता के बारे में शिक्षित करना होगा। फिर ‘आत्मरक्षा’, जो आत्मरक्षा कौशल और गतिविधियाँ हैं। इस तरह की प्रशिक्षण गतिविधियों की स्कूल स्तर, कॉलेज स्तर आदि पर आवश्यकता है।”