मुंबई : Sharad Pawar big disclosure : देश के जाने माने दिग्गज नेता शरद पवार के पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की घोषणा के बाद से NCP नेताओं में खलबली है। पार्टी के नेता इस बात का जवाब ढूंढने में लगे हैं कि अब आगे क्या? अगर शरद पवार इस्तीफे पर अड़े रहे तो पार्टी की कमान कौन संभालेगा? एक तरफ नेताओं के मंथन का दौर है तो दूसरी ओर कार्यकर्ता अब भी उन पर उम्मीद टिकाए बैठे हैं। इस बीच पवार ने स्पष्ट किया है कि आखिर उन्होंने पार्टी नेताओं से बिना विचार विमार्श किए इस्तीफा दिया है।
Sharad Pawar big disclosure : दरअसल, बुधवार को शरद पवार ने कार्यकर्ताओं की बैठक बुलाई। सूत्रों के मुताबिक बुधवार को पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात के बाद शरद पवार ने कहा कि उन्हें पार्टी अध्यक्ष पद से हटने से पहले वरिष्ठ नेताओं और पार्टी कार्यकर्ताओं को भरोसे में लेना चाहिए था। उन्होंने कहा, “अगर मैंने इस फैसले के बारे में सबसे पूछा होता, तो स्वाभाविक रूप से सभी इसका विरोध करते। इसलिए, मैंने सीधे इसकी घोषणा करना चुना।”
कार्यकर्ताओं से शरद पवार ने कहा, “1 मई 1960 को मैंने यूथ विंग के अध्यक्ष का पदभार संभाला था, इसलिए 1 मई से मेरा बहुत खास रिश्ता है। इसलिए, मैंने पिछले हफ्ते यूथ विंग की बैठक में रोटी पलटने वाली टिप्पणी की थी। हम युवाओं के विचारों को ध्यान में रखते हैं और ग्रामीण क्षेत्रों के युवाओं को मुख्यधारा में लाना चाहते हैं।
बताया जा रहा है कि शरद पवार ने 5 मई या 6 मई को एक समिति की बैठक बुलाई है। साथ ही गया है कि इस बैठक में समिति द्वारा लिया गया निर्णय स्वीकार्य होगा। इस समिति में प्रफुल्ल पटेल, सुनील तटकरे, पीसी चाको, नरहरि जिरवाल, अजित पवार, सुप्रिया सुले, जयंत पाटिल, छगन भुजबल, दिलीप वलसे-पाटिल, अनिल देशमुख, राजेश टोपे, जितेंद्र आव्हाड, हसन मुश्रीफ, धनंजय मुंडे, जयदेव गायकवाड़ और पार्टी के फ्रंटल सेल के प्रमुख शामिल होंगे।
Sharad Pawar big disclosure : शरद पवार 1998 के मध्यावधि लोकसभा चुनाव के बाद विपक्ष के नेता चुने गए थे, लेकिन 1999 में जब 12वीं लोकसभा भंग हुई तो शरद पवार, पी ए संगमा और तारिक अनवर ने सोनिया गंधी पर सवाल उठाया और कांग्रेस से निष्कासन के बाद नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी का गठन किया। एनसीपी बहुत जल्द भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण ताकत बन गई। वह कई राज्यों और राष्ट्रीय सरकारों में कांग्रेस और बीजेपी की प्रमुख सहयोगी रही है। 1999 के महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से हाथ मिलाकर सरकार बनाई।
Sharad Pawar big disclosure : अगर महाराष्ट्र की राजनीति की बात करें तो शिवसेना के पूर्व चीफ बाला साहेब ठाकरे भी ऐसे मौके पर दो बार पार्टी अध्यक्ष के पद से इस्तीफे की घोषणा की थी जब उन्हें लगा था कि पार्टी में उनकी सुनी नहीं जा रही है। बाला साहेब इस कदम के बाद पार्टी के अंदर फिर से मजबूत होकर उभरते थे। शरद पवार ने भी इसी राह पर चलने की कोशिश की है, शरद पवार को लगता है कि पार्टी में उनकी नहीं सुनी जा रही है और कुछ नेता उनकी अवहेलना कर रहे हैं। शरद पवार का इशारा किसकी ओर है ये राजनीतिक पंडितों के लिए समझने की बात है।